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प्रशांत भूषण का केजरीवाल पर वार, जन लोकपाल बिल को बताया 'महा जोकपाल'

आम आदमी पार्टी की तरफ से सोमवार को पेश होने वाले लोकपाल बिल पर सियासत शुरू हो गई है। आप के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह लोकपाल नहीं 'महा जोकपाल' है।

By Amit MishraEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2015 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2015 03:58 PM (IST)

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की तरफ से सोमवार को पेश होने वाले लोकपाल बिल पर सियासत शुरू हो गई है। आप के पूर्व सदस्य और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह लोकपाल नहीं 'महा जोकपाल' है।

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प्रशांत भूषण ने कहा कि केजरीवाल किसी तरह की कोई जवाबदेही नहीं चाहते हैं और उन्होंने देश की जनता और अन्ना के आंदोलन के साथ धोखा किया है। प्रशांत भूषण केजरीवाल के बिल को केंद्र सरकार के 2013 के लोकपाल बिल से भी खराब बिल बताया है।

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पंकज पुष्कर से मिली बिल की कॉपी

प्रशांत भूषण के मुताबिक उनको दिल्ली सरकार के जनलोकपाल बिल की कॉपी आप विधायक पंकज पुष्कर से मिली है जो दिल्ली विधानसभा में बिज़नेस एडवाइजरी समिति के सदस्य भी हैं। शांति भूषण ने कहा कि केजरीवाल ने सरकार के लोकपाल को जोकपाल कहा था, लेकिन आज केजरीवाल का बिल महा जोकपाल है।

नियुक्ति को लेकर उठे सवाल

केजरीवाल सरकार के बिल के हिसाब से लोकपाल की नियुक्ति सरकार और नेताओं के हाथ में होगी। जो पैनल चुनाव करेगा, उसमे 4 में से 3 सदस्य तो नेता होंगे, जबकि लोकपाल आंदोलन में तब की सरकार का लोकपाल ये कहकर खारिज किया गया था कि अगर नेता लोकपाल चुनेंगे तो लोकपाल स्वतंत्र कैसे होगा।

लोकपाल की बर्खास्तगी को लेकर उठे सवाल

लोकपाल को हटाने के लिए दिल्ली विधान सभा में दो तिहाई बहुत चाहिए, जबकि लोकपाल आंदोलन में कहा गया था कि लोकपाल स्वतंत्र तभी होगा जब इसके काम में सरकार या राजनीतिक हस्तक्षेप न हो।

स्वतंत्र जांच एजेंसी

केजरीवाल के लोकपाल के पास किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी का प्रावधान नहीं है। दूसरे विभागों से अफसर लेकर काम चलाया जाएगा, जबकि आंदोलन के वक्त निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र जांच एजेंसी का होना जरूरी बताया गया था।

दिल्ली सरकार नहीं चाहती लोकपाल

केजरीवाल के लोकपाल बिल में कहा गया है दिल्ली में होने वाले किसी भी करप्शन की जांच ये लोकपाल कर सकता है। यहां तक कि केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल को भी इसके दायरे में रखा गया है। जबकि लोकपाल आंदोलन में हमारे लोकपाल बिल में साफ था कि केंद्र सरकार के करप्शन के लिए केंद्रीय लोकपाल और राज्य सरकार के करप्शन के लिए राज्य लोकायुक्त होगा।

भूषण के मुताबिक़, इस बिल में ऐसे प्रावधान जानबूझकर डाले गए, जिससे केंद्र सरकार कभी इसको पास न करे, क्योंकि इसमें केंद्रीय मंत्रिमंडल को भी इसके दायरे में डाल दिया गया है जो न तो संभव है और न ही कभी इसकी मांग की गई थी।

गलत शिकायत करने पर जाना पड़ेगा जेल

बिल में गलत शिकायत करने पर जेल भेजने का प्रावधान है, जिससे शिकायतकर्ता शिकायत करने से डरेगा, जबकि आंदोलन के वक्त ड्राफ्ट किए गए बिल में आर्थिक दंड का प्रावधान था, जिससे शिकायत करने वाला डरे नहीं और करप्शन सामने आए।

गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार के लिए यह बिल नाक का सवाल गया है। इसी बिल के आधार पर ही दिल्ली में आप की सरकार को बहुमत मिला। बता दें कि साल 2014 में 49 दिन शासन करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार इसलिए छोड़ी थी, क्योंकि वो विधानसभा में लोकपाल बिल पेश नहीं कर पाए थे।

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