अब चुटकियों में हारेगा आपके शहर का प्रदूषण, अपनाए आयुर्वेद का यह उपचार
गुड़ या शहद का ऐसे मौसम में इस्तेमाल करें। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ फिल्टर का बेहतर काम करता है।
नोएडा (जेएनएन)। पिछले कई दिनों से जारी जारी प्रदूषण के कहर से अचानक सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ी है। हवा में प्रदूषण की असंख्य कण मौजूद हैं, जो लोगों में श्वांस व नेत्र संबंधी बीमारियां पैदा कर रहे हैं। इन दिनों सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार, सिरदर्द, नाक बहना व जाम हो जाना व दमा, अस्थमा, आंखों में एलर्जी इत्यादि बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना रही हैं।
अक्टूबर-नवंबर के दौरान ठंडी हवाएं चलने के साथ वायुमंडल में नमी होने लगती है। ऐसे वक्त में होने वाले धुएं से आर्सेनिक, लेड, मर्करी इत्यादि की मात्रा तेजी से बढ़ती है। इसके कण बाद में नमी के साथ मिलकर और वायु में घुलकर श्वांस नलियों के जरिये फेफड़े में प्रवेश कर जाते हैं।
इतना ही नहीं यह रक्त के साथ भी घुल जाते हैं। फलस्वरूप एलर्जी पैदा होने लगती है। इससे कफ व त्वचा रोगों में वृद्धि होती है।
ऐसे मौसम में श्वांस, दमा व हृदय रोगियों को सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। फलस्वरूप सर्दी, खांसी, जुखाम, ब्रोंकाइटिस, सिर दर्द, सर चकराना, त्वचा में सूजन, खुजली, सीने में जकड़न, छींके आना, आंखें लाल पड़ जाना इत्यादि समस्याएं बढ़ जाती है। मच्छरों का प्रकोप भी इस मौसम में बढ़ता है।
ऐसे रहें सतर्क
-पूरे बाजू के गर्म कपड़े पहनें
-खाद्य व पेय पदाथोर्ं (दही, मट्ठा, कोल्ड डिंक, फ्रिज के पानी) का सेवन न करें।
-खांसते व छींकते समय मुंह पर टीश्यु पेपर या तौलिया लगाएं।
-गुनगुने पानी से नहाएं और पीने के लिए भी गर्म पानी का इस्तेमाल करें।
-मच्छरों से बचकर रहें।
- सोते समय रजाई व कंबल ओढ़ें1
-एसी, कूलर व पंखे का इस्तेमाल न करें।
आयुर्वेदिक समाधान
राष्ट्रीय आयुर्वेद एकैडमी के प्रोफेसर वैद्य अच्युत त्रिपाठी के अनुसार गुड़ या शहद का ऐसे मौसम में इस्तेमाल करें। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ फिल्टर का बेहतर काम करता है। खासकर गुड़ बहुत अच्छा फिल्टर है।
-काली मिर्च का चूर्ण बनाकर शहद के साथ लेने से फेफड़े में होने वाले संक्रमण से राहत मिलती है।
-नाक बहने पर उसमें कच्ची घानी सरसों का तेल डालें।
- आंख में एलर्जी व जलन होने पर त्रिफला का अर्क या गुलाब जल डालें।
-आंखें दर्द करें तो कच्ची प्याज को कूटकर उसमें कच्ची हल्दी पाउडर मिलाकर पोटली में बांधकर देसी घी में पकाएं, फिर इसे गुनगुना होने पर आंखों की सेंकाई करें।
-श्वांस रोगी काली मिर्च, दालचीनी, सोंठ, पुष्कर मूल, बड़ी इलाइची व गुड़ का क्वाथ बनाकर पिएं।
-सर्दी से बचने के लिए सरसों के तेल में अजवाइन मिलाकर अथवा सेंधा नमक या दोनों मिलाकर गर्म करने के बाद मालिश करें।
-बच्चों को सर्दी हो तो सरसों तेल में कपूर, लहसन मिलाकर गर्म करके मालिश करें।
-कफ का संक्रमण होने पर सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर गर्म करें, सीने व हाथ-पैर के तलवे में मालिश करें।
-त्वचा संबंधी संक्रमण होने पर नारियल के तेल में कपूर मिलाकर गर्म करके लगाएं।
-मच्छरों से बचने के लिए नीम का तेल लगाएं या नीम की पत्ती का धुआं करें।
-गर्म दूध में हल्दी डालकर सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।