Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जानिये कवि व नेता कुमार विश्वास को, कैसे बना लेते हैं लोगों को दीवाना

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Wed, 03 May 2017 04:06 PM (IST)

    कवि व प्राध्यापक होने के साथ-साथ डॉ.विश्वास, अगस्त 2011 के दौरान जनलोकपाल आंदोलन के लिए गठित टीम अन्ना के एक सक्रिय सदस्य रहे हैं।

    Hero Image
    जानिये कवि व नेता कुमार विश्वास को, कैसे बना लेते हैं लोगों को दीवाना

    नई दिल्ली (जेएनएन)। 'कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।' कविता के जरिये देश-दुनिया के साहित्य प्रेमियों के दिलों पर छा जाने वाले कुमार विश्वास ने राजनीति के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाई। वह आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं में गिने जाते रहे हैं। केजरीवाल के तो बेहद खास रहे। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कभी पेशे से प्रोफेसर रहे, स्वभाव से कवि और अब राजनेता के नए अवतार में कुमार विश्वास ने राजनीति और मंचीय कविता का बेहतरीन तालमेल दुनिया को दिखाया।

    यह भी पढ़ेंः AAP में बढ़ी रार से उठा सवाल- क्या पार्टी को बॉय-बॉय कह देंगे विश्वास

    यह अलग बात है कि आम आदमी पार्टी की तरह ही उसके नेता कुमार विश्वास की राजनीतिक पारी भी अभी नई है लेकिन कुमार विश्वास की ऑनलाइन टिप्पणियां उनके और उनकी पार्टी के लिए मुफ्त की मुसीबत साबित होती रही हैं।

    लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कुमार विश्वास के खिलाफ जहां मुकदमे दर्ज होते रहे हैं वहीं नरेंद्र मोदी की तारीफ के चलते उनकी राजनीतिक निष्ठा पर भी सवाल खड़े हो चुके हैं। एक कवि के तौर पर कुमार विश्वास के अतीत ने राजनेता के तौर पर उनके वर्तमान को लगातार सवालों के कटघरे में खड़ा रखा है और यही वजह है कि वो आम आदमी पार्टी के दूसरे सबसे विवादित नेता बन चुके हैं। 

    कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 को वसंत पंचमी के दिन गाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश) के पिलखुआ में हुआ। चार भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे कुमार विश्वास ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाला गंगा सहाय विद्यालय, पिलखुआ से प्राप्त की। उनके पिता डॉ. चन्द्रपाल शर्मा, आरएसएस डिग्री कॉलेज (चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से सम्बद्ध), पिलखुआ में प्रवक्ता रहे। माता रमा शर्मा गृहिणी हैं।

    राजपूताना रेजिमेंट इंटर कॉलेज से 12वीं उत्तीर्ण की। उनके पिता उन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे। इसी उद्देश्य से उन्होंने बेटे, कुमार का दाखिला एनआईटी इलाहाबाद (उस समय आरईसी इलाहाबाद) में करवा दिया, मगर कवि हृदय कुमार का मन कविताओं में रमता था इसलिए बीच में ही इंजीनिरिंग की पढ़ाई छोड़ दी। 

    वह कविता में करियर बनाना चाहते थे इसलिए हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। साथ ही स्वर्ण-पदक भी प्राप्त किया। इस बीच कवि सम्मेलन और मुशायरों में भी उनकी आवाज गूंजती रही। श्रृंगार रस उनकी कविताओं की मुख्‍य विशेषता है। उनकी एक रचना ने तो सारी दुनिया में धूम मचा दी। तकरीबन हर युवा के होठों पर उनकी कविता 'कोई दीवान कहता' रही।

    लोगों ने तो उनकी यह रचना ऐसी कंठस्थ कर ली थी कि विश्वास के मुख से पहली पंक्ति ख़त्म होते-होते दूसरी पंक्ति श्रोता गुनगुनाने लग जाते। 

    साहित्‍य भारती उन्‍नाव द्वारा 2004 में 'डॉ.सुमन अलंकरण' प्रदान किया गया। हिंदी-उर्दू अवॉर्ड अकादमी द्वारा 2006 में उन्‍हें 'साहित्‍य-श्री' से सम्‍मानित किया गया। 2010 में डॉ.उर्मिलेश जन चेतना मंच द्वारा 'डॉ.उर्मिलेश गीत-श्री' सम्मान प्राप्त हुआ।

    कवि व प्राध्यापक होने के साथ-साथ डॉ.विश्वास, अगस्त 2011 के दौरान जनलोकपाल आंदोलन के लिए गठित टीम अन्ना के एक सक्रिय सदस्य रहे हैं। वे 26 नवंबर 2012 को अस्तित्व में आई आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य तक पहुंचे।