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    भितरघात की शिकार हुई कांग्रेस के सामने नेतृत्व का संकट, कार्यकर्ता हताशा

    By Amit MishraEdited By:
    Updated: Fri, 28 Apr 2017 09:08 PM (IST)

    दिल्ली में कांग्रेस की जड़ों को जमाने की जिम्मेदारी पार्टी हाई कमान ने अजय माकन को दी थी। चुनाव नजदीक आते ही पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और माकन गुट के बीच की लड़ाई खुलकर सामने आ गई।

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    भितरघात की शिकार हुई कांग्रेस के सामने नेतृत्व का संकट, कार्यकर्ता हताशा

    नई दिल्ली [जेएनएन]। निगम चुनाव में मिली करारी हार का असर कांग्रेस पार्टी पर दिखाई देने लगा है। कहना गलत नहीं होगा कि दिल्ली की सियासत में अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अब कमजोर और नेतृत्व विहीन नजर आ रही है।

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    एक तरफ जहां निगम चुनाव हारते ही प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के साथ ही प्रभारी पीसी चाको ने पद छोड़ने का एलान कर दिया वहीं, बरखा शुक्ला सिंह व युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पहले ही पार्टी का दामन छोड़ भाजपा के खेमे जा चुके हैं। अब  दिल्ली में बड़े स्तर पर जारी टूट की वजह से निराश कार्यकर्ताओं की हताशा और बढ़ गई है। 

    दिल्ली में कांग्रेस की जड़ों को जमाने की जिम्मेदारी पार्टी हाई कमान ने अजय माकन को दी थी। उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी ने 2015 का चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कांग्रेस को दिल्ली में एक बार फिर से खड़ा करने में जुट गए थे। इसका लाभ भी मिला और पिछले वर्ष निगम के 13 वार्डों में हुए उपचुनाव में कांग्रेस चार वार्ड अपने नाम करने में सफल रही थी।

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    उपचुनाव में जीत से उत्साहित कार्यकर्ता निगम चुनाव की तैयारी में जुट गए थे। इससे पार्टी के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद थी लेकिन, चुनाव नजदीक आते ही पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और माकन गुट के बीच की लड़ाई निगम चुनाव के दौरान खुलकर सामने आ गई।

    यही कारण है कि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, पूर्व विधायक अमरीश गौतम, युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित मलिक और प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह सहित अन्य नेता भाजपा में शामिल हो गए। इससे कार्यकर्ताओं व मतदाताओं के बीच गलत संदेश गया और 77 पार्षदों वाली पार्टी मात्र 30 वार्ड पर सिमट गई है। इसके साथ ही माकन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए शीला व अन्य नेताओं ने हार का ठीकरा उनके ऊपर फोड़ दिया।

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    समय की नजाकत समझते हुए माकन ने भी पद छोड़ने का एलान कर दिया। हालांकि अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है। उनके समर्थक भी दावा कर रहे हैं कि दिल्ली की कमान बदली नहीं जाएगी। अगले एक दो दिनों में इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी। उनका कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार कांग्रेस को 12 फीसद ज्यादा वोट मिला है। कोई ऐसा नेता भी नहीं है जो इस कठिन दौर में पार्टी को सही दिशा दे सके।

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