डीयू में दीवारें कहेंगी गांधी की कहानी
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली: भारत की आजादी का इतिहास दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
अभिनव उपाध्याय, नई दिल्ली:
भारत की आजादी का इतिहास दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास से जुड़ा हुआ है। जब आजादी के लिए दिल्ली मचल रही थी तो विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्र आंदोलन में शरीक हो रहे थे। महात्मा गांधी ने दिल्ली विश्वविद्याल के कई कॉलेजों में बैठकें की थीं और यहां के छात्रों को आजादी के आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित भी किया था। सेंट स्टीफंस कॉलेज और हिंदू कॉलेज इसके गवाह हैं। इस संबंध को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन नार्थ कैंपस में स्थित गांधी भवन की दीवारों पर गांधी की जीवन यात्रा को चित्रित करवा रहा है।
गांधी भवन की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष प्रो. मदन मोहन चतुर्वेदी का कहना है कि इस विश्वविद्यालय का संबंध स्वतंत्रता आंदोलन से रहा है। महात्मा गांधी के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। हम यहां पर छात्रों और अन्य लोगों को चित्रों के माध्यम से उनकी जीवन यात्रा के बारे में बताना चाहते थे। इसलिए दीवार पर उनके जीवन के प्रमुख प्रसंगों को उकेरना एक बेहतर विकल्प लगा, इसके लिए हमने एक संस्था का सहयोग लिया है। यहंा कुल 32 वाल पेंटिग दीवारों पर बनाई जाएंगी। जो छह गुणा आठ के आकार की होंगी। इसका शीर्षक 'मोहनदास टू महात्मा' है। इसमें गांधी जी के पोरबंदर से लेकर दक्षिण अफ्रीका जाने, उनके राजनैतिक गुरु गोपालकृष्ण गोखले से मुलाकात, चंपारण यात्रा, स्वदेशी आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन से लेकर आजादी के बाद तक की यात्रा का चित्रण होगा। कुछ चित्र बनाए गए हैं और जल्द ही बाकी और बन जाएंगे।
उन्होंने बताया कि संस्थान काफी काम करता है। लेकिन इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है आज भी यहां पर हर बुधवार चरखा कातना सिखाया जाता है। हर शुक्रवार को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है। सोमवार से शुक्रवार तक ध्यान और योग होता है। प्रतिदिन गीता पाठ और प्रार्थना होती है। यहां पर देश के प्रमुख गांधीवादी विचारकों ने शिरकत की है और व्याख्यान दिया है।