22 दिनों में 186 बेघरों ने तोड़ा दम
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राजधानी में कहर बरपा रही गर्मी अब बेघरों के लिए जानलेवा साबित होने लगी
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : राजधानी में कहर बरपा रही गर्मी अब बेघरों के लिए जानलेवा साबित होने लगी है। रैनबसेरों में सुविधाओं के अभाव के चलते फुटपाथ व सड़क किनारे जिंदगी गुजार रहे बेघर दम तोड़ रहे हैं। राजधानी में मई के महज 22 दिनों में 186 बेघरों ने दम तोड़ा है। पिछले एक सप्ताह में ही 71 शव पुलिस को मिले हैं। सबसे ज्यादा उत्तरी दिल्ली में 55 लोगों की मौत हुई।
सेंटर फार होलिस्टिक डेवलपमेंट से जुडे़ सुनील आलेडिया ने बताया कि सर्दी से ज्यादा गर्मी बेघरों पर भारी पड़ रही है। शायद यही वजह है कि मई में लू के थपेडे़ नहीं सह पाने से 186 बेघरों की जान गई।
रैन बसेरे में सुविधाओं का अभाव
रैन बसेरों में पर्याप्त सुविधाएं नही हैं। इनमें गर्मी से बचने के लिए पंखे तक नहीं लगे हैं, जबकि दोपहर होते ही पोर्टा केबिन तपने लगता है। स्वयं सेवी संगठनों ने कई बार रैन बसेरों की सुध लेने के लिए सरकार का दरवाजा खटखटाया लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला। कश्मीरी गेट पर हालात और भी बदतर हो चुके हैं।
उत्तरी दिल्ली में सबसे ज्यादा मौत
सेंटर फार होलिस्टिक डेवलपमेंट ने राजधानी में बेघरों की मौत पर एक आंकड़ा तैयार किया, जिसमें खुलासा हुआ कि 13 मई से 22 मई के बीच 71 बेघरों ने दम तोड़ा। इनमें सबसे ज्यादा उत्तरी दिल्ली में 55 बेघरों का शव बरामद हुआ, जबकि मध्य दिल्ली में 18, बाहरी दिल्ली में 15, दक्षिणी पूर्वी 14 बेघरों का शव मिला।
गर्मियों में ज्यादा मौतें
संस्था की मानें तो सर्दी से ज्यादा गर्मी में बेघरों की मौत होती है। बावजूद इसके सरकारें इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती। वर्ष 2004 से 2014 तक 11 वर्षो में अप्रैल से जुलाई के बीच 11 हजार से ज्यादा बेघरों ने दम तोड़ा, जबकि अक्टूबर से जनवरी के बीच दस हजार बेघरों की जान गई।
माह - मौत
अप्रैल- 2,497
मई- 2,887
जून- 3,434
जुलाई- 2,971
(नोट : आकड़े वर्ष 2004 से 2014 तक के )
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ठंड में मौत
अक्टूबर - 2,717
नवंबर- 2,499
दिसंबर- 2,431
जनवरी- 2,453
(नोट- आकड़े वर्ष 2004 से 2014 तक के )
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वर्षवार मौत के आंकड़ें
वर्ष- मौत
2009 - 3,114
2010 - 3,498
2011 - 3,291
2012 - 3,325
2013 - 2,895
2014 - 3,313
2015 - 1,252 (22 मई तक)