न्याय की आस में तोड़ा दम
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : पुलिस मुख्यालय के बाहर आत्मदाह की कोशिश करने वाली सुशीला ने सोमवार रात लोकनायक अस्पताल में दम तोड़ दिया। गत 14 जुलाई को अधिकारियों के पास न्याय की गुहार लगाने गई सुशीला को पुलिस मुख्यालय में घुसने नहीं दिया गया था। निराश होकर उसने पेट्रोल छिड़ककर खुद को आग लगा ली थी। 45 फीसद झुलसी अवस्था में उसे लोक नायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सुशीला के परिवार में पति रामेश्वर, दो बेटियां व एक बेटा है। रामेश्वर लकवाग्रस्त है। इस वजह से वह दुर्गा पार्क इलाके में गली नंबर तीन में बुजुर्ग मां तथा तीन बहनों के साथ रहती थीं। सुशीला की बेटी प्रिया का कहना है कि उसकी मौसी संतोष इलाके के प्रॉपर्टी डीलर से मिलकर मकान को बेचने के फिराक में है। गत दिनों दोनों ने उसके घर का सामान भी फेंक दिया था। परिजनों के मुताबिक सुशीला ने मकान बेचने का विरोध किया था और प्रॉपर्टी डीलर के खिलाफ सागरपुर थाने में शिकायत भी की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। अधिकारियों से मिलने पर भी न्याय नहीं मिला। इसके बाद वह पुलिस आयुक्त भीमसेन बस्सी से गुहार लगाने पुलिस मुख्यालय पहुंची थीं। प्रिया ने बताया कि उसकी मां अस्पताल में 21 जुलाई की शाम तक ठीक थी, रात में अचानक मौत हो गई। उसने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है। डॉक्टरों के मुताबिक दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई है। सुशीला की मौत से परिवार में मातम पसरा है। बच्चों का कहना है कि मां छोटा-मोटा काम कर पालन पोषण कर रही थी। अब उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है। उन्होंने जान के खतरे की आशंका जताई है। दक्षिण-पश्चिमी जिले की डीसीपी सुमन गोयल का कहना है कि मामले की जांच कराने पर महिला के आरोप बेबुनियाद पाए गए। पारिवारिक विवाद में उसने आत्मदाह जैसा कदम उठाया।