वानखेड़े में सचिन की लीला
सचिन के आखिरी और 200वें टेस्ट मैच का आरंभ उसी उत्साह-उमंग और अधीरता से हुआ जिसके बारे में सिर्फ कल्पना की जा रही थी। स्टेडियम सचिन-सचिन के नारों से गूंज रहा था और हर तरफ एक तरंग दिख रही थी। कम ही उम्मीद थी कि सचिन को पहले दिन ही बल्लेबाजी के लिए उतरना पड़ेगा, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने कैरेबियाई पारी को दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन चाय से पहले ही 182 रन पर समेट दिया।
मुंबई, जागरण न्यूज नेटवर्क। सचिन के आखिरी और 200वें टेस्ट मैच का आरंभ उसी उत्साह-उमंग और अधीरता से हुआ जिसके बारे में सिर्फ कल्पना की जा रही थी। स्टेडियम सचिन-सचिन के नारों से गूंज रहा था और हर तरफ एक तरंग दिख रही थी। कम ही उम्मीद थी कि सचिन को पहले दिन ही बल्लेबाजी के लिए उतरना पड़ेगा, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने कैरेबियाई पारी को दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन चाय से पहले ही 182 रन पर समेट दिया। जवाब में भारत ने अच्छी शुरुआत के बाद दो विकेट जल्दी-जल्दी गंवा दिए जिससे सचिन को पहले ही दिन बल्लेबाजी के लिए उतरने का मौका मिल गया।
मुरली विजय के आउट होने के बाद जैसे ही सचिन ने मैदान का रुख किया, दर्शक दीर्घाओं से एक बार फिर 'सचिन..सचिन' का शोर गूंजने लगा। स्टेडियम में लगे विशाल स्क्रीन पर संदेश चमका, 'अपनी पलक भी मत झपकाइए।' सचिन ने सीमा रेखा की ओर झुककर सजदा किया और फिर आसमान की तरफ देखा। कैरेबियाई टीम ने कतारबद्ध होकर उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। फिर उन्होंने वह किया जो अब तक नहीं किया था। मास्टर ब्लास्टर ने 22 गज की उस पिच का स्पर्श किया, जिस पर उन्होंने अपनी शख्सियत गढ़ी है। दर्शक एक ऐसे दुर्लभ क्षण का गवाह बन रहे थे जो इसके पहले किसी क्रिकेटर के जीवन में नहीं आया।
सचिन के बल्लेबाजी छोर पर आते ही स्टेडियम में मौजूद तमाम दर्शकों के साथ देश-दुनिया में उनका आखिरी मैच देख रहे करोड़ों लोगों की सांसे थम सी गई। कमेंट्री कर रहे कपिल देव ने कहा, 'बल्लेबाजी सचिन को करनी है और बेचैनी मुझे हो रही है।' सुनील गावस्कर ने कहा, 'करोड़ों दिल धड़क रहे होंगे इस क्षण।' इन धड़कते दिलों को सचिन ने अपने खेल कौशल से शांत किया। उन्होंने 77 रन पर दो विकेट गंवा चुकी भारतीय टीम को खेल के अंत तक सुरक्षित तो किया ही, खुद भी 38 रन पर नाबाद लौटे।
बेहिसाब उम्मीदों-अपेक्षाओं के बीच सचिन ने पारी की शुरुआत इस तरह की मानों उन्हें एक बार फिर खुद को साबित करना है या फिर टीम में अपनी जगह बनानी है। हर स्ट्रोक के साथ मास्टर ने अपनी क्लास दिखाई। किसी भी वक्त ऐसा नहीं लगा कि उन्हें संन्यास लेने की जरूरत है। अपने माहिर अंदाज के साथ उन्होंने वही चपलता दिखाई और कवर एवं स्ट्रेट ड्राइव के रूप में आत्मविश्वास से भरे वैसे ही करारे स्ट्रोक लगाए जिन्होंने दुनिया को उनका दीवाना बनाया। लग रहा था कि सचिन ने अपनी विदाई मैच के लिए केवल शहर का ही चयन नहीं किया, बल्कि किस तरह से विदा होना है, इसकी भी पटकथा लिख रखी है। शुक्रवार को वह पहले घंटे में आउट नहीं होते तो शतक की संभावना बढ़ जाएगी। सचिन की बल्लेबाजी देखने के लिए उनकी मां, पत्नी समेत पूरा परिवार स्टेडियम में मौजूद था। इनके अलावा आमिर खान, नीता अंबानी और कोच रमाकांत आचरेकर भी उन्हें खेलता देखने आए थे।
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''अब केवल इंसान ही खेलेंगे क्रिकेट'' -स्टेडियम में लगा एक बैनर
''पता नहीं लोग क्या बात कर रहे हैं। सचिन तो ऐसे खेल रहे हैं जैसे वह 25 और वर्षो तक खेल सकते हैं।'' -श्रीश्री झुनझुनवाला की ट्वीट
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