फिलिप ह्यूजः एक हुनरमंद की दर्द भरी दास्तान
दिलकश, कड़ी मेहनत करने वाले और कौशल से भरपूर फिलिप ह्यूज में एक और महान बल्लेबाज की संभावनाएं तलाशी जा रही थीं। उन्होंने हाल ही में लोगों का दिल जीतना शुरू ही किया था कि वक्त का क्रूर मजाक देखिए, वह ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में अपनी जगह पुख्ता करने से
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। दिलकश, कड़ी मेहनत करने वाले और कौशल से भरपूर फिलिप ह्यूज में एक और महान बल्लेबाज की संभावनाएं तलाशी जा रही थीं। उन्होंने हाल ही में लोगों का दिल जीतना शुरू ही किया था कि वक्त का क्रूर मजाक देखिए, वह ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में अपनी जगह पुख्ता करने से पहले ही अविश्वसनीय तरीके से क्रिकेट के मैदान पर खेलते-खेलते दुनिया से रुखसत हो गए।
- प्रोफाइलः
न्यू साउथ वेल्स में केले की खेती के लिए मशहूर के एक छोटे से इलाके मैक्सविले में 30 नवंबर, 1988 को जन्मे फिलिप ह्यूज ने अपनी प्रतिभा और क्रिकेट के लिए जुनून के दम पर 18 वर्ष की आयु में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा। 2009 में बेहद कम उम्र में टेस्ट क्रिकेट में कदम रख ह्यूज ने क्रिकेट के दिग्गजों को अपनी ओर आकर्षित किया।
घरेलू क्रिकेट में भी ह्यूज का प्रदर्शन बहुत अच्छा था और 2012-2013 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ घरेलू क्रिकेटर का अवॉर्ड मिला था। 2007 में उन्हें न्यू साउथ वेल्स के शाइङ्क्षनग स्टार का अवॉर्ड, 2009 में सर डॉन ब्रैडमैन यंग क्रिकेटर ऑफ द ईयर और 2008-2009 में शेफील्ड शील्ड प्लेयर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड भी मिला था।
कम समय में ह्यूज को बड़ी सफलता मिल चुकी थी और उन्हें व उनके चाहने वालों को लगता था कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर छाप छोडऩे के लिए उनके पास काफी समय है। लेकिन तीन दिन बाद अपना 26वां जन्मदिन मनाने जा रहे ह्यूज नहीं जानते थे कि उनके हिस्से की जिंदगी खत्म हो चुकी थी। घायल होने से पहले साउथ ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खेलते हुए उन्होंने नाबाद 63 रन बना लिए थे और अब स्कोर बोर्ड में उनकी आखिरी पारी के आगे 'नाबाद' शब्द हमेशा उनकी काबिलियत को दर्शाता रहेगा।