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इस पूर्व गेंदबाज ने भी सुनाया वो किस्सा जब सचिन टूट चुके थे

सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा में 1997 के उस टेस्ट मैच का जिक्र किया है जिसने एक बार के लिए उन्हें उसी समय क्रिकेट छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। सीरीज के उस तीसरे टेस्ट मैच में भारत को मैच व सीरीज जीतने के लिए महज 120 रनों का लक्ष्य

By ShivamEdited By: Published: Mon, 03 Nov 2014 11:23 AM (IST)Updated: Mon, 03 Nov 2014 11:46 AM (IST)

नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा में 1997 के उस टेस्ट मैच का जिक्र किया है जिसने एक बार के लिए उन्हें उसी समय क्रिकेट छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। सीरीज के उस तीसरे टेस्ट मैच में भारत को मैच व सीरीज जीतने के लिए महज 120 रनों का लक्ष्य मिला था लेकिन भारतीय टीम 81 रन पर सिमट गई थी। उस दौरान सचिन टीम के कप्तान थे और सचिन को हार बिलकुल मंजूर नहीं थी, जिस वजह से उनका गुस्सा भी सातवें आसमान पर पहुंच गया था। मुंबई के पूर्व क्रिकेटर व 1997 के उस टेस्ट (बारबडोस टेस्ट) से अपने करियर का आगाज करते हुए मैच के गेंदबाजी हीरो बनने वाले मुंबई के एबे कुरुविला ने भी दर्द भरे शब्दों में उन पलों को याद किया है।

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बारबडोस में 38 रनों से मिली उस शर्मनाक हार के बारे में कुरुविला कहते हैं, 'वह शर्मनाक था। जिस तरह का बल्लेबाजी क्रम हमारे पास मौजूद था, हमें आराम से जीत जाना चाहिए था हालांकि विकेट इतना आसान नहीं था। सचिन बहुत निराश थे। उन्होंने कुछ समय तक बातचीत तक नहीं की। कोच मदन लाल ने भी। अगर हम वो मैच जीतते तो बारबडोस में जीतने वाली हम पहली भारतीय टीम होते। उस पूरे मैच के दौरान हम वापसी करते रहे। मेरे हिसाब से उस मैच में सचिन और द्रविड़ को नो बॉल पर आउट करार दे दिया गया था। हमको जीत के लिए सिर्फ 120 रन ही चाहिए थे। हर मैच में सचिन ने अपना 100 प्रतिशत नहीं बल्कि 200 प्रतिशत दिया था इसलिए मेरा दिल उनके लिए भर आया था।'

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