दोस्त हो तो क्लार्क जैसा, अंत तक रहे ह्यूज के करीब
एक घातक बाउंसर की वजह से अपनी जान गंवाने वाले फिलिप ह्यूज एक बेहतरीन क्रिकेटर के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान भी थे, यही वजह भी थी कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के साथ-साथ पूरी दुनिया में खेल जगत के तमाम धुरंधरों ने इस खिलाड़ी को श्रद्धांजलि दी है लेकिन इन सब के
सिडनी। एक घातक बाउंसर की वजह से अपनी जान गंवाने वाले फिलिप ह्यूज एक बेहतरीन क्रिकेटर के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान भी थे, यही वजह भी थी कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के साथ-साथ पूरी दुनिया में खेल जगत के तमाम धुरंधरों ने इस खिलाड़ी को श्रद्धांजलि दी है लेकिन इन सब के बीच एक खिलाड़ी ऐसा भी था जो अंत तक ह्यूज के साथ रहा। वो थे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क।
ये अजीब बात ही है कि फिलिप ह्यूज ऑस्ट्रेलियाई टेस्ट टीम में जिस खिलाड़ी की जगह ले सकते थे वो उनके करीबी दोस्त माइकल क्लार्क ही थे। क्लार्क इन दिनों अपनी चोट से जूझ रहे हैं और भारत के खिलाफ पहले टेस्ट से वो बाहर हैं, ऐसे में उनकी जगह लेने के लिए जिस खिलाड़ी का नाम सबसे ऊपर आ रहा था वो ह्यूज ही थे लेकिन उससे पहले ही ये दर्दनाक हादसा हो गया। क्लार्क और ह्यूज की करीबी काफी पुरानी रही है और क्लार्क उन्हें अपने दोस्त से ज्यादा छोटा भाई मानते थे। इसीलिए जैसे ही उन्हें मैदान पर हुई इस घटना की जानकारी मिली, वो सीधे सेंट विंसेंट अस्पताल पहुंच गए। क्लार्क बेहद भावुक थे और ह्यूज को कोमा में देखकर वो टूट से गए। अगले तकरीब 48 घंटों तक क्लार्क ने ह्यूज के बिस्तर का किनारा नहीं छोड़ा और न ही ह्यूज के परिवार का साथ छोड़ा। अपनी चोट और उथल-पुथल भरे करियर को लेकर वैसे ही परेशान चल रहे क्लार्क ह्यूज को अस्पताल में देखकर अपना दर्द पूरी तरह भूल चुके थे। उन्हें बस ह्यूज की ही चिंता थी। यहां तक कि जब ह्यूज की मृत्यु की पुष्टि हो गई तो वो क्लार्क ही थे जिन्होंने बेहद भावुक होने के बावजूद ह्यूज के परिवार का साथ दिया और प्रेस वार्ता में आकर परिवार का संदेश पढ़ा। इस दौरान क्लार्क बेहद भावुक दिखे, हालांकि फिर भी वो अपना फर्ज निभाने से पीछे नहीं हटे। कई पूर्व क्रिकेट दिग्गजों ने इसके लिए क्लार्क की जमकर सराहना भी की है।