जानिए क्यों, डे-नाइट टेस्ट मैच पिंक गेंद से खेले जाएंगे
डे-नाइट टेस्ट मैच के रूप में क्रिकेट के नए रंग की शुरुआत हो चुकी है। सफेद गेंद के बजाए पिंक गेंद को डे-नाइट में इसलिए चुना गया क्योंकि सफेद गेंद 30-40 ओवर बाद गंदी हो जाती है।
नई दिल्ली।टेस्ट मैच को और दिलचस्प बनाने के लिए डे-नाइट टेस्ट मैच के रूप में क्रिकेट के नए फॉर्मेट की शुरुआत हो चुकी है। गौरतलबै है कि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेला जा चुका है। अब जल्द ही भारत में भी ऐसा ही मैच होने जा रहा है।
डे-नाइट क्रिकेट की शुरुआत में वनडे मैच खेले गए थे। तब परंपरागत लाल गेंद के स्थान पर सफेद गेंद का इस्तेमाल किया गया। इसका कारण यह था कि यलो फ्लडलाइट्स में लाल गेंद साफ नहीं दिखाई देती है। दुधिया रोधनी में यह गेंद भूरी नजर आती है। पिच का रंग भी ऐसा ही होता है। इस तरह खिलाड़ियों को लाल गेंद देखने में परेशानी होती थी, जबकि सफेद गेंद साफ नजर आती है। तब से अब तक सफेद गेंद से डे-नाइट वनडे मैच खेले जा रहे हैं।
सफेद गेंद के बजाए पिंक गेंद को डे-नाइट में इसलिए चुना गया क्योंकि सफेद गेंद 30-40 ओवर बाद गंदी हो जाती है। वनडे में उसे बदलने का विकल्प रहता है, क्योंकि हर पारी में नई गेंद इस्तेमाल होती है, लेकिन टेस्ट में बार-बार गेंद बदलना संभव नहीं होगा। इसलिए पिंक गेंद लाई गई।