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क्या खतरे में थी धौनी की टेस्ट कप्तानी ?

महेंद्र सिंह धौनी अगर टेस्ट से संन्यास का फैसला नहीं लेते तो बीसीसीआइ खुद उन्हें इस सीरीज के बाद टेस्ट की कप्तानी से बेदखल कर सकता था। सूत्रों के मुताबिक तो बीसीसीआइ की ओर से ये पहले ही तय कर लिया गया था कि इस सीरीज का परिणाम चाहे कुछ

By sanjay savernEdited By: Published: Wed, 31 Dec 2014 11:11 AM (IST)Updated: Wed, 31 Dec 2014 11:55 AM (IST)

नई दिल्ली। महेंद्र सिंह धौनी अगर टेस्ट से संन्यास का फैसला नहीं लेते तो बीसीसीआइ खुद उन्हें इस सीरीज के बाद टेस्ट की कप्तानी से बेदखल कर सकता था। सूत्रों के मुताबिक तो बीसीसीआइ की ओर से ये पहले ही तय कर लिया गया था कि इस सीरीज का परिणाम चाहे कुछ भी हो, लेकिन इसके बाद धौनी को टेस्ट मैचों की कप्तानी नहीं सौंपी जाएगी। इसके पीछे विदेशी सरजमीं पर धौनी के खराब रिकॉर्ड को भी वजह माना जा रहा है। धौनी की अगुवाई में भारत को इस साल विदेशी सरजमीं पर लगातार तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा है।

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प्रेस कांफ्रेंस में नहीं दी जानकारी

सबसे अहम बात ये रही कि धौनी तीसरा मैच ड्रॉ होने के बाद प्रेस कांफ्रेंस करने पहुंचे, लेकिन तब उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान नहीं किया। इसके एक घंटे बाद बीसीसीआइ ने ट्विटर पर एक मेल के जरिए धौनी के संन्यास की जानकारी दी। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि आखिर इस एक घंटे में ऐसा क्या हो गया, जो धौनी के संन्यास की पुष्टि बीसीसीआइ को करनी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक धौनी पर टेस्ट कप्तानी छोडऩे का दवाब था और उनके पास कप्तानी बचाने का एकमात्र जरिया मौजूदा टेस्ट सीरीज थी। हालांकि तीसरा टेस्ट मैच ड्रॉ होते ही भारत ने सीरीज भी गंवा दी। ऐसे में धौनी ने सिडनी टेस्ट मैच तक रुकने के बजाए टेस्ट संन्यास का फैसला कर लिया और बीसीसीआइ को इसकी जानकारी दे दी।

पूर्व कप्तानों ने की थी सिफारिश

धौनी की कप्तानी के कायल रहे टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने भी कुछ दिन पहले ही भविष्यवाणी की थी कि यह कप्तान के तौर पर धौनी की आखिरी टेस्ट सीरीज हो सकती है। तब उन्होंने कहा था कि धौनी को काफी मौके मिल चुके हैं, लेकिन वो विदेशों में अच्छा परिणाम देने में नाकाम रहे। गांगुली ने भी भावी कप्तान के रूप में विराट कोहली को योग्य बताया था। उनकी यह बात वाजिब भी लगती है, क्योंकि मौजूदा सीरीज में भारत केवल एडिलेड टेस्ट में जीत के करीब पहुंचता नजर आया और उस टेस्ट में कप्तानी विराट कोहली के पास थी।सौरव ही नहीं, मो. अजहरुद्दीन, सुनील गावस्कर, वसीम अकरम समेत कई दिग्गजों ने धौनी की जगह कोहली को टेस्ट कप्तान बनाए जाने की सिफारिश की थी।

विदेशी सरजमीं पर खराब प्रदर्शन बना वजह

धौनी की सबसे बड़ी आलोचना गेंदबाजों के इस्तेमाल को लेकर होती रही है, साथ ही वो खुद भी बतौर बल्लेबाज फ्लॉप रहे हैं। उन पर आरोप था कि जिस तरह से वनडे और टी-20 में वे प्लेयर्स का इस्तेमाल करते हैं उस तरीके से वे क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट में नहीं कर पाते, इसी के चलते विदेश में वे सबसे ज्यादा मैच गंवा चुके है। वेस्ट इंडीज को छोड़कर उनकी कप्तानी में भारत विदेश में कहीं भी टेस्ट सीरीज नहीं जीत पाया। धौनी ने विदेश में जिन 26 मैचों में कप्तानी की, उनमें से वे केवल 6 में जीत दिला सके, जबकि 13 में हार का सामना करना पड़ा।

दो साल पहले ही दे दिए थे संकेत

धौनी ने दो साल पहले ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के संकेत दे दिए थे। वर्ष 2012 की शुरुआत में आस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट के बाद धौनी ने कहा था कि अगर उन्हें 2015 वर्ल्ड कप खेलना है तो टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना ही होगा। तब उन्होंने इशारों ही इशारों में 2013 तक टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने की बात कही थी। हालांकि बीसीसीआइ अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के कहने पर वो अपने टेस्ट करियर को 2014 तक खींचते रहे।

क्या कहा था माही ने

धौनी ने कहा था, 'मैं 2013 तक टेस्ट कप्तानी करता रहूंगा, लेकिन इसके बाद मुझे देखना होगा कि 2015 वर्ल्ड कप के लिए मेरा शरीर मेरा कितना साथ देती है। मुझे लगता है कि अगर मुझे वर्ल्ड कप तक खेलना है तो टेस्ट क्रिकेट को छोडऩा पड़ेगा, क्योंकि अगर कोई 30 वनडे मैच खेल चुका विकेटकीपर वर्ल्ड कप में जाता है तो यह सही नहीं होगा। इसके बाद धौनी ने 2013 के अंत में कहा था, 'अगर मुझे फिट बने रहना है तो किसी एक फॉर्मेट से विदा होना ही पड़ेगा। यह व्यक्तिगत मामला नहीं है, बल्कि देश और उस व्यक्ति से जुड़ा हुआ है जो मेरी जगह लेगा। अगर वो वर्ल्ड कप में जाता है तो उसे कम से कम 70-80 मैचों का अनुभव होना जरूरी है। यह मेरी व्यक्तिगत राय है।

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