दिलचस्पः 35 की उम्र में पहली उड़ान, क्या इससे कुछ सीखेगा भारत?
ऑस्ट्रेलिया और मेजबान वेस्टइंडीज के बीच बुधवार को टेस्ट सीरीज की शुरुआत हुई। इस मैच के शुरू होने से पहले फैंस को एक अनोखा और शानदार नजारा देखने को मिला। ये नजारा था जब एक कंगारू खिलाड़ी को कैप सौंपकर उसके टेस्ट करियर का आगाज किया गया। आइए जानते हैं
(शिवम् अवस्थी), नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया और मेजबान वेस्टइंडीज के बीच बुधवार को टेस्ट सीरीज की शुरुआत हुई। इस मैच के शुरू होने से पहले फैंस को एक अनोखा और शानदार नजारा देखने को मिला। ये नजारा था जब एक कंगारू खिलाड़ी को कैप सौंपकर उसके टेस्ट करियर का आगाज किया गया। आइए जानते हैं कि कौन था ये खिलाड़ी, क्या थी उसके आगाज की दिलचस्प हकीकत और भारतीय क्रिकेट इस हकीकत से क्या सीख ले सकता है।
- 35 की उम्र में डेब्यूः
ये खिलाड़ी हैं एडम वोजेस। इस कंगारू ने लगातार घरेलू क्रिकेट में संघर्ष किया, कभी फॉर्म ठीक रहा तो कभी खराब लेकिन आखिर में उसे 160 प्रथम श्रेणी मैचों में इंतजार करने के बाद 35 की उम्र में टेस्ट करियर शुरू करने का मौका मिला। वो भी एक विदेशी दौरे पर। वोजेस वनडे और टी20 क्रिकेट में तो कई बार मैदान पर नजर आए लेकिन टेस्ट क्रिकेट में अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करने की उनकी चाहत कभी खत्म नहीं हुई। उन्होंने संघर्ष जारी रखा और आखिरकार वो टेस्ट क्रिकेटर बनने में सफल रहे। उन्होंने मैच के पहले दिन वेस्टइंडीज के जेरोम टेलर का एक बेहतरीन कैच (फोटो) भी लपका जिससे उनकी उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था। बल्लेबाजी में वो पहले दिन 20 रन पर नाबाद पवेलियन लौटे।
- क्या इससे कुछ सीखेगा भारत ?:
भारतीय क्रिकेट में आज कई ऐसे दिग्गज बाहर बैठे हैं जिन्हें खराब फॉर्म की वजह से कभी बाहर किया था। इनमें से कुछ ने घरेलू क्रिकेट व आइपीएल में अपनी फिटनेस और फॉर्म को साबित भी किया लेकिन चयनकर्ता इन धुरंधरों को सिर्फ इसलिए बाहर रख रहे हैं क्योंकि इनकी उम्र मैदान पर उतरने की गवाही नहीं देती। जहीर खान, आशीष नेहरा, वीरेंद्र सहवाग और मुनफ पटेल जैसे कई ऐसे मौजूदा क्रिकेटर हैं जो बीच-बीच में घरेलू क्रिकेट में अपनी काबिलियत दिखाते आए लेकिन बढ़ती उम्र के चलते उन्हें खुद को साबित करने का मौका नहीं मिला। वहीं दूसरी तरफ अमोल मजूमदार जैसे कुछ पूर्व क्रिकेटर भी रहे जिन्होंने अपना पूरा जीवन घरेलू क्रिकेट में गुजार दिया। कई महान रिकॉर्ड भी बनाए लेकिन उन्हें कभी अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू करने का मौका तक नहीं मिला। शुरुआत में अनुभव की कमी के कारण वो नजरअंदाज किए गए और 30 की उम्र पार करने के बाद उनकी बढ़ती उम्र को बहाना बताकर टीम से बाहर रखा गया। नतीजतन वो संन्यास लेने पर मजबूर हुए।