युवराज का आत्मविश्वास लौटना टीम के लिए बेहतर
श्रीलंका पर आसान जीत के साथ भारत एशिया कप के फाइनल में प्रवेश करने वाली पहली टीम बन गई। एक बार फिर से जीत का अंतर काफी कम दिख रहा था। क्योंकि सिर्फ चार गेंद शेष रहते हुए भारत ने मैच जीता, लेकिन किसी भी समय ऐसा नहीं लगा कि
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
श्रीलंका पर आसान जीत के साथ भारत एशिया कप के फाइनल में प्रवेश करने वाली पहली टीम बन गई। एक बार फिर से जीत का अंतर काफी कम दिख रहा था। क्योंकि सिर्फ चार गेंद शेष रहते हुए भारत ने मैच जीता, लेकिन किसी भी समय ऐसा नहीं लगा कि भारत मैच हार सकता है। अगर जरूरत होती तो वे निश्चित तौर पर रनों की गति को रफ्तार देते। विराट कोहली ने एक और अर्धशतक लगाया। हालांकि भारत के लिए सबसे अच्छी बात युवराज सिंह की बल्लेबाजी रही।
इस खब्बू बल्लेबाज ने आक्रामक अंदाज में बल्लेबाजी की और अपने चिर परिचित अंदाज में अच्छी गेंदों को भी बाउंड्री पार पहुंचाया। पाकिस्तान केखिलाफ मैच के बाद से उनका आत्मविश्वास लौटता नजर आ रहा था। जब वह बल्लेबाजी करने उतरे थे, तो भारतीय टीम दबाव में थी और पारी को जमाने की जरूरत थी। उन्होंने कोहली के साथ मिलकर इस काम को बखूबी निभाया और टीम को जीत दिलाई। फॉर्म में नहीं होने पर सर्वश्रेष्ठ खिलाडि़यों को भी अपनी क्षमता पर शक होने लगता है। युवराज को यह पता था कि उनके पूर्व साथियों समेत कई लोग हैं, जो उनके विफल होने पर उनकी बलि की मांग करने के लिए तैयार बैठे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ जीत में अहम भूमिका निभाने के बाद अब उनका आत्मविश्वास बढ़ गया है।
कोहली को गेंदबाजी करना बेहद मुश्किल है, क्योंकि वह एक जैसी गेंद को पिच के दोनों तरफ खेलने की योग्यता रखते हैं। इसलिए उनके लिए फील्ड लगाना आसान नहीं रहता। वह गेम को भी बहुत अच्छी तरह से भांप लेते है। इसलिए वह बहुत ही कम मौकों पर गलत साबित होते हैं। टीम को तनावभरे क्षणों से निकालकर अपने दम पर मैच जिताने की योग्यता उनमें है। सुरेश रैना भी उनकी तरह गेम को अच्छे से पढ़ना जानते हैं, लेकिन हवा में शॉट खेलते वक्त वह गलत साबित हो जाते हैं। गैर जरूरी शॉट खेलकर वह अपना विकेट गंवा बैठे। एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से हवा में शॉट खेलना आसान नहीं होता। इसके लिए गेंद का सही लैंथ पर होना जरूरी है। संकट के समय में आप रैना से बल्लेबाजी की उम्मीद करते हैं, क्योंकि वह बड़े शॉट लगाने के अलावा एक-दो रन चुराने में भी माहिर हैं।
मजबूत गेंदबाजी आक्रमण के खिलाफ हार्दिक पांड्या को शॉट खेलने में दिक्कत हुई, लेकिन वह ऐसे बल्लेबाज हैं, जो टीम के स्कोर को गति दे सकते हैं। उम्मीद है कि उन्होंने अब तक खेले मैचों से काफी कुछ सीखा होगा। श्रीलंका को 140 से कम के स्कोर पर रोककर गेंदबाजों ने एक बार फिर से अच्छा काम किया। हालांकि गेंदबाजी कोच को यह सुनिश्चित करना होगा कि ज्यादा नो बॉल न हों। कुछ हद तक वाइड गेंद समझ में आती हैं, क्योंकि सीमित ओवरों के क्रिकेट में नियम कड़े हैं। लेकिन नो बॉल से तो निश्चित तौर पर बचना चाहिए, क्योंकि इससे मैच का पासा पलट सकता है, खासतौर से फ्री हिट की वजह से।
गुरुवार को यूएई के खिलाफ महत्वहीन मैच के लिए भारतीय टीम में बदलाव की संभावना कम ही हैं। हां, अगर कोई खिलाड़ी छोटी-मोटी चोट से जूझ रहा हो, या किसी को आराम की जरूरत हो, तो बात अलग है। टीम प्रबंधन विजयी टीम में बदलाव करना नहीं चाहेगा।
(पीएमजी)