भुलानी होंगी पिछले दो महीने की बातें
भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा बिना किसी जीत के समाप्त हो गया और इसलिए त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में एक बार फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया आमने सामने होंगे। भारत की तुलना में अधिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प दिखाने वाली इंग्लिश टीम फाइनल में जगह बनाने की असली हकदार थी।
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
भारत का ऑस्ट्रेलिया दौरा बिना किसी जीत के समाप्त हो गया और इसलिए त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में एक बार फिर पुराने प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया आमने सामने होंगे। भारत की तुलना में अधिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प दिखाने वाली इंग्लिश टीम फाइनल में जगह बनाने की असली हकदार थी। जब हालात प्रतिकूल थे तब एक बार फिर भारतीय टीम परिस्थिति बदलने की बिना कोई कोशिश किए उसके साथ आगे बढ़ती नजर आई। माना भारतीय टीम के लिए यह बहुत ही लंबा दौरा रहा, लेकिन जब आप एक बार देश की टोपी सिर पर पहन लेते हैं तो फिर सारी शारीरिक और मानसिक थकान को भुलाकर मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने की पूरी कोशिश करनी चाहिए।
हां, क्योंकि सारी अंगुलियां बराबर नहीं होतीं, वैसे ही मैदान पर किसी एक खिलाड़ी का प्रदर्शन दूसरे खिलाड़ी से बेहतर हो सकता है और शायद कुछ बेहतर प्रदर्शन ही टीम का भाग्य बदल देते।अब उनके पास एक सप्ताह का समय बचा है। ऐसे में विश्व कप के अभ्यास मैच खेलने से पहले उन्हें पिछले दो महीने की सारी बातों व प्रदर्शन को भुला देने की कोशिश करनी चाहिए। जरूरत इस बात की है कि टीम के खिलाड़ी एक बार फिर पूरी तरह से तरोताजा होकर मैदान पर उतरे और जोरदार प्रदर्शन के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। सबसे अच्छी बात है कि ये अभ्यास मैच स्वांग नहीं होंगे जहां टीम के सभी बल्लेबाज बल्लेबाजी कर सकते हैं और गेंदबाज गेंद फेंक सकते हैं। इससे किसी भी मैच का रोमांच गायब हो जाता है।
अभ्यास मैचों में सभी टीमों के अपने अंतिम एकादश के साथ उतरना होगा। भारत भी वही ११ खिलाड़ी उतारे, जिनके साथ वह आगे बढ़ना चाहता है।पर्थ की पिच विश्व की सबसे तेज पिचों में से एक है और यहां बल्लेबाजी कभी भी आसान नहीं रही है। ऐसे में यह भारतीय बल्लेबाजों के लिए आसान नहीं था, लेकिन रहाणे और धवन ने कमाल की तकनीक और संयम दिखाया। शुरुआत में दोनों ही सलामी बल्लेबाजों ने बहुत सारी गेंदें शरीर पर खेलीं, लेकिन एक बार पैर जम जाने के बाद कुछ आकर्षक शॉट भी लगाए। यह देखना सुखद रहा कि धवन गेंद को बल्ले के बीच से खेल रहे थे।
वह गेंद को सीधा और शरीर के पास से खेलने की कोशिश कर रहे थे, जो सराहनीय था। अन्य बल्लेबाजों ने भी सलामी बल्लेबाजों जैसा जूझारूपन दिखाया होता तो शायद बोर्ड पर 40-50 रन और टंगे होते, जो बड़ा अंतर पैदा कर सकते थे। पर्थ जैसी पिचों पर भारत को छह बल्लेबाजों के साथ उतरना चाहिए, जिनके बाद धौनी, बिन्नी और अश्विन का क्रम आए। पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले से पहले अभ्यास मैचों में ही रायुडू और रैना अपनी लय हासिल कर लें तो टीम के लिए अच्छा होगा, वरना 250 के करीब स्कोर बनाना भी मुश्किल हो जाएगा।
(पीएमजी)