खुद के साथ दूसरों को भी आगे बढ़ा रहे हैं विराट- हर्षा भोगले
कोहली किसी भी भारतीय की तरह अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं और संदेश साफ है कि वह खुद तो बुलंदियां छू ही रहे हैं, दूसरों को भी आगे बढ़ा रहे हैं।
नई दिल्ली, (हर्षा भोगले का कॉलम)। मैं अक्सर सुनता हूं कि तेंदुलकर, द्रविड़, सहवाग और लक्ष्मण के जाने के बाद क्रिकेट पहले जैसा नहीं रहा। मुझे उम्मीद है कि अब उनकी यह सोच जल्द ही बदल जाएगी, क्योंकि लहरें जितनी जल्दी जाती हैं, उतनी ही जल्दी लौटती भी हैं। और इस बार यह विराट कोहली के रूप में लौटी हैं। युवा कोहली किसी भी भारतीय की तरह अच्छी बल्लेबाजी कर रहे हैं और संदेश साफ है कि वह खुद तो बुलंदियां छू ही रहे हैं, दूसरों को भी आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसा कम ही देखने को मिलता है। मुझे बिल्कुल भी आइडिया नहीं है कि वह कितना आगे जाएंगे। अगर आपको यह अंदाजा है, तो धीरे से ही बोलें ताकि कोई दूसरा न सुने या फिर अपने तक ही इस राज को रखिए।
वानखेड़े की पिच पर बल्लेबाजों को बल्लेबाजी करना पसंद है। कम योग्यता वाले खिलाड़ी इस पर संघर्ष करते दिखते हैं। कोहली ने मास्टर क्लास पारी खेली। मुझे शास्त्रीय संगीत की समझ नहीं है, लेकिन मुङो लगता है कि यह अनुभव ठीक वैसा ही है, जैसा किसी महान कलाकार की हॉल में प्रस्तुति देखते हुए होता है। बात सिर्फ टाइमिंग या शॉट चयन की नहीं है, यह इससे भी कहीं यादा है।
भारत ने शुरुआती विकेट जल्दी गंवा दिया था। इंग्लैंड ऐसी ही शुरुआत के इंतजार में था। दूसरा खिलाड़ी होता तो वह सावधानी से खेलता और रक्षात्मक एप्रोच अपनाता। मगर यह कोहली के स्वभाव में ही नहीं है। वह एक ऐसे मुक्केबाज की तरह हैं, जो पहला पंच मारने में विश्वास रखते हैं। बिना समय गंवाए वह 25 के स्कोर पर पहुंचे और खेल की पूरी लय ही बदल गई। इसके बाद 98 के स्कोर पर उन्होंने मिडविकेट पर वाइड शॉट खेला और एक तेज धावक की तरह दौड़े। ऐसा लग ही नहीं रहा था कि वह पिछले कुछ घंटों से बल्लेबाजी कर रहे हैं। मोइन अली की गेंद पर उन्होंने कवर ड्राइव भी लगाया, उन्होंने बायें पैर को जहां तक संभव था, स्ट्रेच किया। कोहली का खेल देखिए, वर्तमान का लुत्फ उठाइए।