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गावस्कर-कपिल के मुताबिक लोढ़ा कमेटी की कुछ सिफारिशें बेहद सख्त

पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर और कपिल देव ने कहा है कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशें बेहद सख्त हैं।

By ShivamEdited By: Published: Sun, 25 Sep 2016 10:40 PM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2016 10:44 PM (IST)

विशेष संवाददाता, कानपुर। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर और कपिल देव ने कहा है कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशें बेहद सख्त हैं। इनमें एक राज्य, एक वोट और प्रशासकों के लिए हर कार्यकाल के बाद तीन साल का ब्रेक शामिल है। इन दोनों से पहले पूर्व कप्तान रवि शास्त्री भी यही प्रतिक्रिया दे चुके हैं।

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इन दोनों दिग्गजों का मानना है कि काम करने और नियंत्रण के लिए बीसीसीआइ का ढांचा अलग तरह का है। इसलिए समिति की सारी सिफारिशें उसके लिए शायद फायदेमंद नहीं हों। गावस्कर ने कहा कि जो तीन भद्रजन समिति में शामिल थे और सिफारिशें दीं, मैं उनका पूरा सम्मान करता हूं। मुझे लगता है कि एक राज्य, एक वोट उन संघों के लिए कुछ कड़ा है जो बोर्ड के संस्थापक सदस्य हैं। अगर आप इंग्लैंड जाओगे तो देखोगे कि सभी काउंटी, इंग्लिश काउंटी चैंपियनशिप में नहीं खेलतीं। ऑस्ट्रेलिया की प्रथम श्रेणी चैंपियनशिप (शेफील्ड शील्ड) में भी सभी राज्य नहीं खेलते। इसलिए प्रत्येक राज्य के रणजी ट्रॉफी खेलने से क्रिकेट के स्तर में कमी आएगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें मदद नहीं मिलेगी। भारत और न्यूजीलैंड के बीच यहां चल रहे पहले टेस्ट के दौरान जब साथी कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर नजरिया जानना चाहा तो गावस्कर ने कहा कि आप सभी राज्यों को रणजी ट्रॉफी में सीधे प्रवेश नहीं दे सकते।

कपिल ने कहा कि सभी के लिए आयु सीमा निर्धारित कर दी गई है। चयनकर्ता बनने के लिए मेरे पास एक साल बचा है, क्योंकि इसमें 60 बरस कहा गया है। मुझे यह समझ में नहीं आता कि महाराष्ट्र का सिर्फ एक वोट है। कैसे मुंबई जैसे स्थान को तीन साल बाद वोट का मौका मिलेगा जिसने क्रिकेट के लिए इतना कुछ किया है। अगर आप विचारों को लेकर अड़े रहेंगे तो इससे किसी का भला नहीं होगा। उन्हें बैठकर चर्चा करनी होगी कि क्रिकेट के लिए सर्वश्रेष्ठ क्या है?

कार्यकाल और ब्रेक के संदर्भ में गावस्कर ने कहा कि क्रिकेट की तरह प्रशासनिक ढांचे में भी युवा और अनुभव के मिश्रण की जरूरत होती है। कार्यकाल की सीमा से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि इससे क्षमतावान प्रशासकों की प्रगति रुकेगी। प्रशासक के करियर में शीर्ष पद अध्यक्ष होता है। आप तीन साल में अध्यक्ष नहीं बन सकते। आप अध्यक्ष हैं क्योंकि कुछ कार्यकाल आपने उपाध्यक्ष के रूप में बिताए हैं। उस स्तर पर पहुंचने के बाद आप अध्यक्ष बनते हैं।

कपिल ने कहा कि भारत बहुत बड़ा देश है और उसे देखते हुए चयनकर्ताओं का कार्यकाल कम से कम पांच साल का होना चाहिए। तीन साल काफी कम हैं। कुछ चीजें हो रही हैं और जब तब आपको पता चले कि आपको ऐसा करना चाहिए या नहीं, समय खत्म हो जाता है। इतने बड़े संगठन को चलाना छोटी चीज नहीं है। आज बोर्ड बदल गया है। बोर्ड का संविधान कहता है कि भारत में खेल में सुधार करो। हमें यह प्रयास करने की जरूरत है। हमें उन लोगों को नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने इतने वर्षो तक इस खेल को चलाया है। हमें उनका सम्मान करना चाहिए लेकिन साथ ही बदलाव की जरूरत होती है और इसमें कोई नुकसान नहीं है।

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