आईटी जॉब्स पर संकट के बादल, अमेरिका के बाद अब सिंगापुर में भी आईटी वीजा पर सख्ती
सिंगापुर के तकनीकी वीजा पर सख्ती लगाने से भारतीय इंजीनियरों की संख्या कम हो गई है
नई दिल्ली: आईटी प्रोफेशनल्स के लिए दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिका में H1B वीजा पर सख्ती के बाद अब आईटी नौकरियों के लिहाज से दूसरे बड़े बाजार सिंगापुर से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं। आईटी उद्योग संगठन नेस्कॉम का कहना है कि सिंगापुर के आईटी वीजा पर सख्ती करने से भारतीय इंजीनियरों की संख्या दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में 10,000 से नीचे आ गई है, साथ ही यह भविष्य के लक्ष्यों पूरा करनी की क्षमता भी इससे प्रभावित हो सकती है।
नैस्कॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन ने बताया कि इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर के तहत तकनीकी श्रमिकों को वीजा जारी करना "कम हो गया है" और इसलिए सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए "इसे बंद कर दिया गया है"। उन्होंने कहा, “विभिन्न कंपनियों के साथ कार्यरत भारतीय तकनीकी श्रमिकों की संख्या अब सिर्फ कुछ हजारों में है, शायद 10,000 से कम, जो कि उद्योग के विकास को बरकरार रखने के लिए अपर्याप्त है।”
यह टिप्पणी इसलिए मायने रखती है क्योंकि क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां इस क्षेत्र में ग्राहकों की सेवा के लिए सिंगापुर को प्रवेश द्वार के रूप में उपयोग में लाती हैं। टीसीएस, एचसीएल, इंफोसिस और विप्रो समेत सभी प्रमुख भारतीय कंपनियां सिंगापुर में उपस्थित हैं।
उन्होंने कहा, “अगर चीजें नहीं बदलीं तो कंपनियों को इस क्षेत्र के लिए वैकल्पिक तरीकों की तलाश करनी होंगी, उन्हें वैकल्पिक स्थानों की खोज करनी होगी।” एशियाई बाजार में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए भारतीय कंपनियां सिंगापुर में निवेश कर रही हैं जो कि एक मजबूत गति से बढ़ रहा है, हालांकि अमेरिका और यूरोप उद्योग के निर्यात राजस्व में अपनी 80 फीसद से अधिक हिस्सेदारी बनाए रखेगा।