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कैंसर का हब बना बिहार का यह जिला, जानिए क्या हैं कारण

सिवान में कैंसर कहर बनकर टूट रहा है। बीमारी से सालाना 50 से ज्यादा मौतें हो रही हैं। इसके फैलाव को देखते हुए शोध की जरूरत जताई जाने लगी है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 05:21 PM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 06:21 PM (IST)
कैंसर का हब बना बिहार का यह जिला, जानिए क्या  हैं कारण
कैंसर का हब बना बिहार का यह जिला, जानिए क्या हैं कारण

सिवान [राजेश पटेल]। बिहार के सिवान जिले में कैंसर ने घातक रूप से अपना प्रभाव जमा लिया है। अनुमान के मुताबिक दो हजार से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। यहां कुछ न कुछ ऐसा जरूर है, जिसके चलते कैंसर को अपने पांव जमाने में मदद मिल रही है।

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सिवान में कैंसर औसतन हर साल 50 लोगों की जान ले रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि यहां इसकी जांच की कोई सुविधा ही नहीं है। जब तक मरीज को पता चलता है कि उसे कैंसर हुआ है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। कारणों का तो फिलहाल पता नहीं, लेकिन सिवान में तंबाकू की खेती को इससे जोड़ा जाता है। वैसे, बीमारी के फैलाव को देखते हुए शोध की जरूरत जताई जाने लगी है।

वैसे, आम तौर पर पुरुषों में कैंसर का कारण तंबाकू सेवन माना गया है। महिलाओं में आधुनिक जीवन शैली को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। अधिकतर महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है।

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उदाहरण की बात करें तो सरस्वती देवी, रमावती देवी, नूरुल निशा, सुनील कुमार मांझी, बिंदा देवी, सूफिया खातून, जितेंद्र कुमार, तारकेश्वर सिंह, मोरातुन निशा, हरिचरण प्रसाद, नेसार अहमद अंसारी... आदि आदि। बड़ी लंबी सूची है सिवान में कैंसर मरीजों की। कैंसर की चपेट में आने से जेपी विश्वविद्यालय में संस्कृत की प्रोफेसर रहीं डॉ. अमरावती शर्मा की तरह मरने वालों की सूची और लंबी है। महाराजगंज के पास पसनौली सागर में तो एक ही परिवार को तीन लोगों को कैंसर लील गया। कमलदेव सिंह, इनके छोटे भाई उमा सिंह, फिर उमा सिंह के बेटे हृदया सिंह को भी। नवलपुर के जैरांम सिंह व कपिया के रामेश्वर सिंह को भी कैंसर खा गया। 

स्थिति यह है कि शायद ही कोई ऐसा गांव बचा हो, जहां कैंसर के मरीज न हों। यह अलग बात है कि अभी तक उस मरीज को इसका पता नहीं हो। सिवान सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. एमके आलम स्वीकार करते हैं कि सिवान में कैंसर के मरीजों की संख्या चिंताजनक है।

डॉ. आलम ने कहा कि उनके यहां जो मरीज आते हैं, वे गरीब तबके के ही होते हैं। बीपीएल श्रेणी के कैंसर पीडि़तों को इलाज में सहायता के लिए जिला स्वास्थ्य समिति राज्य सरकार से आर्थिक मदद की अनुशंसा करती है। बड़े अस्पतालों की रिपोर्ट पर सीधे भी राज्य या केंद्र सरकार मदद करती है।
सिवान के सांसद ओमप्रकाश यादव ने बताया कि उनके यहां हर साल करीब एक हजार लोग विभिन्न असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से सहायता के लिए आते हैं। इनमें कम से कम एक चौथाई कैंसर के पीडि़त होते हैं। कहा जा सकता है कि सिवान की स्थिति कैंसर के मामले में अति खतरनाक है। इसीलिए लोकसभा में मांग की कि सिवान में कैंसर संस्थान की स्थापना की जाए।

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सिवान में नहीं है कोई सुविधा
सिवान सदर अस्पताल या किसी भी प्राइवेट अस्पताल में कैंसर की जांच की सुविधा है ही नहीं। यह बात सिविल सर्जन डॉ. शिवचंद्र झा ने कही। उन्होंने कहा कि हर साल कुछ न कुछ आवेदन सहायता के लिए आते हैं। बोर्ड की बैठक में उन्‍हें स्वीकृति देने के बाद राज्य सरकार के पास चिकित्सा अनुदान के लिए अनुशंसा भेजी जाती है।
तंबाकू की खेती से भी होता है कैंसर
बिहार सोसाइटी ऑफ अोंकोलॉजी के चेयरमैन डॉ. सुमंत्र श्रीकर ने बताया कि जिन इलाकों में तंबाकू की खेती होती है, वहां कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। सिवान में इसकी खेती होती है। मरीज बढऩे का एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है।

बीमारी के सामान्‍य लक्षण
- शरीर के किसी हिस्से में कई माह से दर्दरहित गिल्टी होना।

- किसी घाव का लंबे समय तक नहीं भरना।

- शरीर के किसी हिस्से से लगातार खून आना।

- मासिक धर्म में ज्यादा खून आना, शौच, उल्टी व खांसी में खून आना।

- मुंह के छाले ठीक नहीं होना या सफेद दाग होना।

- चबाने, निगलने व मुंह खोलने में परेशानी।

- आवाज परिवर्तन और लंबे समय तक भूख नहीं लगना।

- वजन में नियमित कमी, शौच में अनियमितता।

- लंबे समय तक खांसी होना।
कैंसर से बचने के उपाय
- धूम्रपान-तंबाकू का सेवन नहीं करें।

- संतुलित भोजन करना।

- अधिक नमक, फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक से परहेज।
- नियमित व्यायाम व शारीरिक गतिविधियां। 

- माताएं बच्चों को नियमित स्तनपान कराएं।
- स्वच्छ पानी का उपयोग करें।
यहां है इलाज की सुविधा
बिहार में महावीर कैंसर संस्थान पटना के फुलवारीशरीफ में है। टाटा कैंसर इंस्टीट्यूट मुंबई में है। दिल्ली में भी कई अस्पताल हैं, जहां कैंसर का इलाज होता है। 

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