यहां कुंआ के पानी से ठीक होती है असाध्य बीमारियां
अमरेन्द्र, सहरसा : कंदाहा सूर्य मंदिर प्रांगण में स्थित कुंआ के पानी का उपयोग सिर्फ पूजा के लिए नहीं
अमरेन्द्र, सहरसा : कंदाहा सूर्य मंदिर प्रांगण में स्थित कुंआ के पानी का उपयोग सिर्फ पूजा के लिए नहीं होता है बल्कि इस पानी से शरीर की कई व्याधियों का नाश होता है। औषधीय गुणों से युक्त इस कुंआ के पानी से स्नान करने व पानी ले जाने के लिए कोसी अंचल ही नहीं नेपाल, बंगाल व अन्य जगहों से लोग पहुंचते हैं।
कंदाहा का टीला कई ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर को समेटे हुआ है। इसी टीला पर अवस्थित कंदाहा का सूर्य मंदिर देश के बारह सूर्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि देश के विभिन्न हिस्सों में बारह राशियों में सूर्य मंदिर की स्थापना हुई थी। जिसमें कंदाहा का सूर्य मंदिर मेष राशि में स्थापित हुआ था। उसी समय कुंआ की भी स्थापना हुई थी।
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कुंआ का है धार्मिक महत्व
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धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शाम्भ कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। उस समय इस रोग से मुक्ति के लिए ऋषि-मुनियों ने 12 सूर्य मंदिर की स्थापना कर पूजा करने की सलाह दी थी। इसी कड़ी में कृष्ण पुत्र शाम्भ ने मिथिला के कंदाहा में भी सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। सूर्यपुराण में भी इसका जिक्र है क मंदिर द्वापर कालीन है।
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पानी से ठीक होता है कुष्ठ व चर्म रोग
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कष्ट निवारण के लिए यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। आस्था है कि इस मंदिर के कुंआ में स्नान करने से कुष्ठ रोग, चर्म रोग, घेंघा रोग ठीक होता है। मंदिर के पुजारी बाबूकांत झा, गिरिजा झा, जवाहर झा, हीरा झा कहते हैं कि लोग ऐसे रोग से पीड़ित लोग एक सप्ताह तक कुंआ के पानी से स्नान करते हैं और पानी पीते भी हैं। कई लोगों की बीमारियां ठीक भी हो चुकी है। छठ के मौके पर दूरदराज से लोग कुंआ का पानी लेने पहुंचते हैं। वहीं दूसरी ओर सुपौल के दिनकर चंद्र कहते हैं कि उनके पैर में चर्म रोग हो गया था। कुंआ का पानी काफी फायदेमंद साबित हुआ। क्षेत्रीय योजना पदाधिकारी डीएन मिश्र का मानना है कि कुंआ का पानी काफी लाभकारी है। उन्होंने कहा कि लोगों से जानकारी मिलने के बाद वे वहां गये थे और पूजा के बाद पानी अपने एक मित्र को भेजा था। मित्र को पेट संबंधी बीमारी में काफी लाभ हुआ था। दरभंगा के कैलाश राय कहते हैं कि मैं प्रतिमाह यहां आता हूं और 20 लीटर पानी ले जाता हूं। इस पानी से काफी लाभ हुआ है। घर व आसपास के कई लोग सफेद दाग व चर्म रोग से पीड़ित थे जो पूरी तरह ठीक हुए हैं।
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पानी में गंधक या अन्य रासायनिक तत्वों की मात्रा अधिक रहने से एक्जीमा सहित अन्य चर्म रोग में तत्काल फायदा का एहसास हो सकता है। लेकिन बिना इलाज के ठीक नहीं हो सकता है। पुराने जमाने में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण लोग इसपर विश्वास करते होंगे।
केके झा
चर्म रोग विशेषज्ञ, सहरसा