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लालू यादव ने ट्वीट कर पीएम से कहा - मेरे सवालों का जवाब दो....

लालू यादव ने नोटबंदी के मुद्दे पर ट्वीट और प्रेस वक्तव्य जारी कर पीएम मोदी से कुल बारह सवाल पूछे हैं और कहा है कि इन सवालों का जवाब दीजिए जनता इंतजार कर रही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 24 Nov 2016 06:32 PM (IST)Updated: Fri, 25 Nov 2016 11:07 PM (IST)

पटना [जेएनएन ]। नोटबैन से कालाधन का उजागर होना और जनता की परेशानियों को लेकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर पीएम मोदी से सवाल किए हैं। लालू का सवाल है कि जनता को हो रही परेशानियों का जिम्मेवार कौन है? क्या नोटबंदी से कालाधन वापस आ गया? इस तरह लालू ने पहले प्रेसवक्तव्य और फिर ट्वीट कर कुल बारह सवाल पूछे हैं।

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लालू ने पीएम मोदी पर आरोप लगाते हुए पूछा है कि आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधान सेवक हैं जैसा कि आप हर जगह ढिंढोरा पीटते हैं तो आपने एक प्रधान सेवक रहते हुए जनता के बारे में बिना सोचे - विचारे कैसे इतना बड़ा कदम उठा लिया और कैसे ये तुगलकी फरमान जनता पर थोप दिया?

हम काले धन के सख़्त विरोधी हैं। काले धन वालों को दबोचो। किंतु इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते?

— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 24, 2016

लालू ने कहा कि एक पखवाड़े पूर्व अचानक देशवासियों को यह फ़रमान सुनाया गया कि चार घण्टे बाद देश की 86% मुद्रा सिर्फ़ कागज़ का टुकडा रह जायेगी। यह तुग़लकी फ़रमान था, कहावत के रूप में भी, भावात्मक रूप में भी और वास्तविक रूप में भी।

उन्होंने पीएम से पूछा कि हम भी काले धन के सख़्त विरोधी हैं। पर इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते। जिनके पास सचमुच काला धन है, उनको दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा, सकुचा रहा है?

देश का किसान निर्धन सही, किन्तु निर्बल नहीं है।भूखे किसान व निर्धन को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है?

— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 24, 2016

जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना आव-ताव देखे, आवेश में आकर, मुखपृष्ठों पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है? मोदी जी आपसे कुछ सवाल है, जनता

जबाब चाहती है।

सवाल- एक

आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है। उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने के कगार पर है। किसानों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है? देश का किसान निर्धन सही, किन्तु निर्बल नहीं है। देश का किसान मोदी को माफ़ नहीं करेगा।

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सवाल- दो

देश के भूखे, निर्धन, वंचित को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है? तुमने जो हंगामा खड़ा किया है, उसके शोर शराबे में करोडों लोगों के भूख और पीड़ा से कराहने की आवाज दब रही है, पर समझ लो हमेशा नहीं दबेगी।

सवाल- तीन

प्रधानमंत्री बताये कि नोटबन्दी के बाद एफडीआई का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चूका है? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक सन्देश पूरे विश्व में गया है, उससे उबर पाने में कितने प्रगतिशील सालों की बलि चढ़ेगी?

इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक सन्देश पूरे विश्व में गया है, उससे उबरने में कितने सालों की बलि चढ़ेगी?

सवाल - चार

प्रधानमंत्री बताये कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का ज़िम्मेवार कौन है?

सवाल - पांच

प्रधानमंत्री बताये कि इस कदम से जीडीपी ग्रोथ रेट जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे? विकास दर में गिरावट की ज़िम्मेवारी प्रधानमंत्री लेगा या बलि का बकरा ढूँढा जाएगा?

सवाल - छह

नोटबन्दी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं। इनकी हत्या का दोषी कौन है? पीएम बतायें कि पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा दिया जायेगा कि नहीं?

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सवाल - सात

प्रधानमंत्री बताए कि छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्ज़ाना कौन भरेगा?

PM बताये कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का ज़िम्मेवार कौन है? इस कदम से GDP ग्रोथ रेट जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे?

— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 24, 2016

सवाल - आठ

प्रधानमंत्री के इस निर्णय में क्या कैबिनेट की सहमति थी? अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे। क्योंकि जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं?

सवाल - नौ

क्या आरएसएस को लोगों की पीड़ा में आनंद आ रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबन्दी का स्वांग रचा गया? मोहन भागवत चुप क्यों है?

क्या RSS को लोगों की पीड़ा का आनंद आ रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह किया गया? मोहन भागवत चुप क्यों है?

— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) November 24, 2016

सवाल - दस

मोदी बताये कि अबतक देश को कितने manhours और प्रोडक्शन का नुकसान हुआ है? उसकी भरपाई कैसे होगी?

सवाल - ग्यारह

प्रधानमंत्री सीमा निर्धारित करके बताएँ कि उनके वादानुसार लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये कब जमा होंगे?

सवाल - बारह

क्या प्रधानमंत्री पूरी तरह आश्वस्त है कि बचे हुए 35 दिन में वो सभी समस्याओं का निदान कर देंगे? नहीं तो बतायें कि कितने दिन और जनता को तड़पायेंगे?

अंत में लालू ने लिखा है कि जनता को आपके जबाबों का इंतज़ार है।


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