पटना [काजल]। साइबर क्रिमिनल्स की पहुंच अब ट्विटर से लेकर वेबसाइट्स तक हो गई है। देशभर में साइबर क्राइम का जाल तेजी से फैलता जा रहा है। अापको पता भी नहीं चलेगा और अापका बैंक अकाउंट खाली हो जाएगा। ठगी के लिएसाइबर क्रिमिनल्स रोज नए तरीके इजाद कर रहे हैं।
बिहार में भी साइबर क्राइम तेजी से बढ़ा रहा है। 2014 व 2015 में जहां क्रमश: 139 व 242 साइबर क्राइम दर्ज किये गये थे, वहीं इस साल के पहले तीन माह में ही 307 मामले दर्ज किये गये हैं।
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बिहार में साइबर क्राइम का आंकड़ा 15 महीने में चार गुना हो गया है। वर्ष 2014 में 139 मामले दर्ज हुए थे, जो अगले 15 महीनों (जनवरी, 2015 से मार्च, 2016 तक) में बढ़ कर 549 हो गया। इस तरह जहां वर्ष 2014 में प्रति माह करीब 11 मामले दर्ज हो रहे थे, वहीं अगले 15 महीने में यह आंकड़ा प्रति माह 37 तक पहुंच गया। खास बात यह है कि अधिकतर साइबर क्राइम मुंगेर, जमुई व बिहारशरीफ से लिंक हैं।
साइबर ठगों ने अब ठगी का नया तरीका इजाद कर लिया है। पहले ठग खुद को बैंक अधिकारी बता एटीएम का पिन नंबर पूछकर ठगी करते थे। अब ठग मोबाइल नंबर बंद करने का झांसा देकर दूसरे के मोबाइल नंबर से पेटीएम अकाउंट बना कर ठगी कर रहे हैं। इस नए तरीके ने पुलिस के लिए भी एक चुनौती पेश कर दी है कि वह किस तरह से इस हाईटेक और नए तरीके पर लगाम लगाए।
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अॉनलाइन वॉलेट का कर रहे इस्तेमाल
ऑनलाइन वाॅलेट का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं।आजकल देश के बड़े बैंक और कुछ निजी मोबाइल एप संचालक ऐसे वॉलेट को ग्राहकों को इस्तेमाल करने के लिए लुभा रहे हैं, जिसमें 10 हजार रुपये तक राशि को रखा जा सकता है। फर्जीवाड़ा गैंग इसी सहूलियत का बेजा फायदा उठा रहे हैं।
अमूमन वॉलेट प्रयाेग करने के लिए केवल एटीएम कार्ड का नंबर चाहिए होता है, जैसे ही नंबर मिलता है, वे मौजूद राशि को वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं। इसके बाद वे शॉपिंग, रिचार्ज, मनी ट्रांसफर, होटल बुकिंग जैसे योजनाओं में पैसा खर्च करते हैं।
पेटीएम कोड पता कर देते हैं ठगी को अंजाम
साइबर ठग पहले किसी का बैंक अकाउंट हैक करते हैं और फिर किसी दूसरे के मोबाइल नंबर से पेटीएम पर आईडी बना लेते हैं। पेटीएम अकाउंट बनाने के बाद ठग किसी महंगे सामान की ऑनलाइन बुकिंग कर उसका पेमेंट हैक किए गए खाते से कर देते हैं। कुछ ही देर बाद बुकिंग कैंसिल करा दी जाती है, इसके बाद कंपनी पेटीएम के आईडी में पैसे लौटा देती है, जिसे ये ठग हैक किए गए गए किसी दूसरे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर उसकी निकासी कर लेते हैं।
वेलकम किट से चेक की हो रही क्लोनिंग
आजकल बैंकों में खाता खोलने के बाद दी जाने वाली वेलकम किट को भी साइबर क्रिमिनल्स हथियार बना रहे हैं। चेक बुक पर अकाउंट नंबर नहीं लिखा होता है , चेक को खुरचकर क्लोन तैयार कर लेते हैं और क्लोन चेक से अकाउंट खत्म कर देते हैं। वेबसाइट पर लिंक भेजकर ठग ले रहे पैसे नौकरी का विज्ञापन देखकर फेक वेबसाइट तैयार कर उसका लिंक भेजकर बेरोजगारों से रकम जमा करवा लेते हैं और लेकर फरार हो जाते हैं। इतना ही नहीं इस ठगी में ट्विटर का भी इस्तेमाल करते हैं। फोन बंद हो जाए तो हो जाएं सचेत साइबर ठग किसी तरह जुगत लगाकर नया सिम हासिल कर ले रहे हैं, इसके बाद संबंधित व्यक्ति के एकाउंट और एटीएम की डिटेल हासिल कर रकम ले उड़ते हैं। एेसे में चार पांच घंटे के लिए फोन बंद हो जाए तो तुरत ध्यान देना चाहिए। साइबर ठगी से बचने के लिए बरतें ये सावधानियां- -बैंक खाता, कार्ड नंब, पिन, ईमेल आईडी और पासवर्ड, मोबाइल नंबर ओटीपी एेसी कोई भी जानकारी किसी को भी न दें। -डिटेल न देने पर अकाउंट बंद किए जाने का फोन आने पर ध्यान ना दें, नहीं तो जालसाज आपका डिटेल्स पता कर सकते हैं। -अगर मोबाईल नंबर बंद करने का कोई भी रिक्वेस्ट आए तो उसपर भी ध्यान ना दें। -कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर अपना एटीए और क्रेडिट कार्ड का पासवर्ड बदलते रहें। -एटीएम या पीओएस मशीन यूज करते समय कीपैड जरूर ढंककर नंबर डालें। -एटीएम की डिटेल या उसका पासवर्ड कभी भी किसी से शेयर ना करें। -एटीएम की केबिन में किसी की भी मौजूदगी में पिन नंबर यूज ना करें। -साइबर कैफे में अॉनलाइन लेन-देन से बचें। -बैंक, कॉल सेंटर से भेजा गया यूजर आइडी और पासवर्ड की जानकारी या इसे बदलने की जानकारी सिर्फ बैंक को दें, किसी और को नहीं।