जदयू में नीतीश के चयन पर फैसला मान्य नहींः हाई कोर्ट
पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ गुरुवार को नीतीश कुमार के समर्थकों ने याचिका दायर की। समर्थकों ने कोर्ट से नीतीश को विधानमंडल दल के नेता चुने जाने पर स्टे वापस लेने का निवेदन किया है।
पटना। पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ गुरुवार को नीतीश कुमार के समर्थकों ने याचिका दायर की। समर्थकों ने कोर्ट से नीतीश को विधानमंडल दल के नेता चुने जाने पर स्टे वापस लेने का निवेदन किया। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि जदयू में नीतीश कुमार के चयन पर कोर्ट का फैसला मान्य नहीं होगा।
काराकाट के जदयू विधायक राजेश्वर राज की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिम्हा रेड्डी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को कहा कि हालांकि वह राजनीतिक विवादों से दूर रहना चाहते हैं, मगर कानूनी पहलुओं को सुलझाना न्यायपालिका का दायित्व भी है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील एसबीके मंगलम ने कहा कि 7 फरवरी को विधानसभा के प्रभारी सचिव हरेराम मुखिया ने नीतीश कुमार को विधानमंडल के नए नेता के रूप में मान्यता दे दी, जो पूरी तरह असंवैधानिक है।
खंडपीठ ने कहा कि विधानमंडल दल के नेता का चुनाव न्याय संगत नहीं प्रतीत होता है। जब मामला राज्यपाल के पास है तो उसका इंतजार किया जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री के पद पर रहते दूसरे किसी व्यक्ति को विधानमंडल का नेता कैसे चुना जा सकता है। ऐसे में विधानसभा के प्रभारी सचिव के पत्र का कोई मतलब नहीं है। खंडपीठ ने कहा कि सारे फैसले सदन मेें ही लिए जा सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने यह सवाल भी उठाया था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव द्वारा विधानमंडल दल की बैठक बुलाना सरासर असंवैधानिक था। यह अधिकार मुख्यमंत्री को है। उसे भी अदालत अवैध घोषित करे। हालांकि विधानसभा की ओर से लोकहित याचिका के औचित्य पर सवाल किया गया, लेकिन अदालत ने विधायक द्वारा लाई गई याचिका पर सुनवाई करने में आपत्ति नहीं की। दूसरी ओर मुख्य सचिव की ओर से प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने पक्ष रखा।