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साधारण व्यक्ति का असाधारण व्यक्तित्व, जानिए एपीजे अब्दुल कलाम को

पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर एपीजे अब्दुल कलाम की आज पहली पुण्यतिथि है। आज पूरा राष्ट्र उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन कर रहा है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 10:28 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 11:38 PM (IST)
साधारण व्यक्ति का असाधारण व्यक्तित्व, जानिए एपीजे अब्दुल कलाम को

पटना [काजल]। बिल्कुल सरल-साधारण से व्यक्ति और जिनके असाधारण व्यक्तित्व की छवि जो हमारे जेहन में घूमती है वो हैं भारत के मिसाइल मैन के नाम से विख्यात देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद, जो पिछले साल अचानक हम सबको छोड़कर दुनिया से विदा हो गए। आज पूरा राष्ट्र उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें नमन कर रहा है।

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डॉक्टर अब्दुल कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति बनने से पूर्व ही प्राप्त हुआ , अन्य दो राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन हैं। कलाम प्रथम वैज्ञानिक हैं जो राष्ट्रपति बने और प्रथम राष्ट्रपति रहे जो अविवाहित थे।

पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम जिन्हें हम एेपीजे अब्दुल कलाम के नाम से जानते हैं, उनका जन्म 15 अक्तूबर, 1931 ईस्वी को रामेश्वरम में हुआ था। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन करने वाले मिसाइल मैन के नाम विख्यात इनकी जीवनगाथा भी किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है।

उनका सरल स्वभाव ही उन्हें सभी धर्म,जाति और संप्रदाय के व्यक्तियों के बीच उन्हें सबसे प्रिय बनाता है। वे एक एेसे स्वीकार्य भारतीय रहे हैं जो सबके लिए एक महान आदर्श बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का राष्ट्रपति बनना कोई कपोल कल्पना मात्र नहीं है क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है।

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बचपन में अखबार वितरण किया

बचपन से ही मेहनती अलग सोच और कर्तव्यनिष्ठ अब्दुल कलाम रामेश्वरम के रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर जाकर समाचार पत्र एकत्र रामेश्वरम शहर की सड़कों पर दौड़-दौड़कर अखबार का सबसे पहले वितरण करते थे। अपने शिक्षक के प्यारे रहे अब्दुल कलाम को उड़ने वाले पक्षियों को देखकर मन में यह जिज्ञासा जगती थी कि ये उड़ते कैसे हैं? इसी आकांक्षा ने उन्हें मिसाइल बनने की प्रेरणा दी और उन्होंने आधुनिक प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण किया।

नब्बे प्रतिशत बहुमत से चुने गए थे राष्ट्रपति

देश के बड़े संस्थानों के पदों को सुशोभित करने वाले अब्दुल कलाम राजनीतिक पृष्ठभूमि के नहीं होने के बावजूद भारत के ग्यारवें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। इन्हें भारतीय जनता पार्टी समर्थित एन.डी.ए. घटक दलों ने अपना उम्मीदवार बनाया था जिसका वामदलों के अलावा समस्त दलों ने समर्थन किया। 18 जुलाई, 2002 को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत द्वारा 'भारत का राष्ट्रपति' चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002 को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई थी। इनका कार्यकाल 25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।

इतने महत्तवपूर्ण व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहना सरल नहीं है। वेशभूषा, बोलचाल के लहजे, अच्छे-खासे सरकारी आवास को छोड़कर हॉस्टल का सादगीपूर्ण जीवन, ये बातें सबके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। डॉ. कलाम एक बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, देश के विकास और युवा मस्तिष्कों को प्रज्ज्वलित करने में अपनी तल्लीनता के साथ साथ वे पर्यावरण की चिंता भी खूब करते हैं, साहित्य में भी उनकी रुचि रखते थी, कविता लिखते थे और साथ ही वे वीणा बजाते थे।

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सरल स्वभाव के कारण सबके थे चहेते

अब्दुल कलाम अध्यात्म से भी बहुत गहरे जुड़े हुए थे। डॉ. कलाम में अपने काम के प्रति जबर्दस्त दीवानगी थी। उनका मानना था कि कोई भी समय काम का ही समय होता है। वह अपना अधिकांश समय कार्यालय में बिताते थे। देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों में डॉ. कलाम की सक्रियता तथा स्फूर्ति काबिलेतारीफ है। ऊर्जा का ऐसा प्रवाह केवल गहरी प्रतिबद्धता तथा समर्पण से ही आ सकता है।

डॉ. कलाम बातचीत में बड़े विनोदप्रिय स्वभाव के थे। अपनी बात को बड़ी सरलता तथा साफगोई से सामने रखते थे और उनकी बातों में हास्य का पुट होता है। लेकिन बात बहुत सटीक तौर पर करते हैं। डॉ. कलाम सभी मुद्दों को मानवीयता की कसौटी पर परखते हैं। उनके लिए जाति, धर्म, वर्ग, समुदाय मायने नहीं रखते थे। वे आज भी सर्वधर्म समभाव के प्रतीक हैं।

मानवतावाद के थे पक्षधर

वे इंसान के जीवन को ऊंचा उठाना चाहते थे और उसे बेहतरी की ओर ले जाना चाहते हैं। उनका मानवतावाद मनुष्यों की समानता के आधारभूत सिद्धांत पर आधारित है। 25 जुलाई, 2002 की शाम को भारत के राष्ट्रपति का सर्वोच्च पद सँभालने के दिन घटित एक बात से इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है। उस दिन राष्ट्रपति भवन में एक प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी जिसमें रामेश्वरम् मसजिद के मौलवी, रामेश्वरम् मंदिर के पुजारी, सेंट जोसेफ कॉलेज के फॉदर रेक्टर तथा अन्य लोगों ने भाग लिया था। उनके बारे में जो पहलू सबसे कम प्रचारित है वह है उनकी उदारता या परोपकार की भावना।

एक साल पहले आज के ही दिन दुनिया से हुए थे विदा

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का एक साल पहले आज के ही दिन मेघालय में निधन हो गया था जहां पर वे आईआईएम शिलांग के एक कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। डॉ कलाम मंच पर अपने भाषण के बीच में ही गिर पड़े। बाद में अस्पताल में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

अब्दुल कलाम की कही 10 यादगार बातों पर एक नजर-

1. आपका सपना सच हो, इसके लिए जरूरी है कि आप सपना देखें।

2. उत्कृष्टता एक निरंतर प्रक्रिया है और यह अचानक नहीं होती।

3. जिंदगी कठिन है। आप तभी जीत सकते हैं जब आप मनुष्य होने के अपने जन्मसिद्ध अधिकार के प्रति सजग हैं।

4. व्यक्ति के जीवन में कठिनाई नहीं होगी तो उसे सफलता की खुशी का अहसास नहीं होगा।

5. हमें दुनिया तभी याद रखेगी जब हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और विकसित भारत देंगे जो कि आर्थिक संपन्नता और सांस्कृतिक विरासत से मिला हो।

6. जो अपने दिल से काम नहीं करते जिंदगी में भले ही कुछ पा लें, लेकिन वह खोखली होती है। यह आपके मन में कड़वाहट भरती है।

7. शिक्षाविदों को छात्रों का रोल मॉडल बनना चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि उनमें खोजने, जांचने, सृजनात्मकता और उद्यमशीलता की क्षमता उभरे।

8. आसमान की ओर देखें। हम अकेले नहीं हैं। पूरा ब्रह्मांड हमारा मित्र है और जो सपना देख रहे हैं और मेहनत कर रहे हैं उन्हें बेहतरीन फल देने प्रयास कर रहा है।

9. अगर देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है और सुंदर मस्तिष्क वालों का देश बनाना है, तो मैं समझता हूं कि समाज के तीन लोग इसमें सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं। इनमें पिता, माता और गुरु सबसे महत्वपूर्ण हैं।

10. मेरा संदेश, खास तौर पर युवा पीढ़ी के लिए यह है कि उनमें हिम्मत हो कि वह कुछ अलग सोच सकें, हिम्मत हो कि वह कुछ खोज सकें, नए रास्तों पर चलने की हिम्मत हो, जो असंभव हो उसे खोज सकें और मुसीबतों को जीत सके और सफलता हासिल कर सके।


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