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बिजली पर घमासान: सीएम नीतीश ने बदला रेट, जानिए अब कितना देना होगा

बिजली दरों में विनियामक आयोग के 55 फीसद वृद्धि के फैसले के तुरंत बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निर्देश दिया है कि अगले दो-तीन दिनों में ऊर्जा विभाग अनुदान संबंधी समीक्षा करेगा।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 09:12 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 10:04 PM (IST)
बिजली पर घमासान: सीएम नीतीश ने बदला रेट, जानिए अब कितना देना होगा
बिजली पर घमासान: सीएम नीतीश ने बदला रेट, जानिए अब कितना देना होगा
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह राहत भरी खबर है। बिजली दरों में विनियामक आयोग के 55 फीसद वृद्धि के फैसले के तुरंत बाद राज्य सरकार ने राहत के संकेत भी दिए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के बाद  बिजली उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिली।
अब एक अप्रैल से बिजली की  दरों में 55% नहीं, बल्कि 28% ही बढ़ोतरी होगी। शुक्रवार को दिन में बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने वर्ष 2017-18 के लिए बिजली दरों में 55% बढ़ोतरी का एलान किया, लेकिन, रात में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से सब्सिडी जारी रखने का फैसला लिया गया, जिसके बाद ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बढ़ोतरी में कटौती का एलान किया़।
अभी बिजली कंपनियों को राज्य सरकार करीब चार हजार करोड़ रुपये सब्सिडी देती है। अगले वित्तीय वर्ष में यह सब्सिडी जारी रहने पर उपभोक्ताओं पर बिजली की दरों में औसतन 28% ही बढ़ोतरी का भार पड़ेगा। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि किस श्रेणी में कितनी सब्सिडी मिलेगी। विनियामक आयोग ने बिजली की दरों के स्लैब में काफी कमी की है। 
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर अगले दो-तीन दिनों में ऊर्जा विभाग अनुदान संबंधी समीक्षा करेगा और उपभोक्ताओं को राहत देने के उपायों पर विचार करेगा। 

सरकार करेगी अनुदान की समीक्षा 
ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि देश में पहली बार अनुदान रहित टैरिफ का प्रस्ताव सौंपा गया था। इसके आधार पर विनियामक आयोग ने अपना फैसला सुनाया है। अब सरकार अनुदान संबंधी समीक्षा करेगी। यह भी तय किया जाएगा कि किस श्रेणी के उपभोक्ता को कितना अनुदान दिया जाएगा। 
एक अप्रैल से लागू होंगी नई दरें 
इसके पहले विनियामक आयोग ने शुक्रवार को नई बिजली दरों का एलान किया। फैसले के मुताबिक सभी श्रेणियों की दरों में औसतन 55 फीसद तक इजाफा किया गया है। कंपनी ने 84 फीसद तक वृद्धि का अनुदान रहित प्रस्ताव दिया था। बढ़ी हुई दरें एक अप्रैल से लागू होंगी। 
घाटे की भरपाई को ले किया फैसला 
आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी, सदस्य राजीव अमित एवं आरके चौधरी ने मीडिया को बताया कि कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव में अबतक बीपीएल, कृषि, ग्रामीण एवं व्यावसायिक उपभोक्ताओं को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी का जिक्र रहता था।
पहली बार शून्य सब्सिडी के आधार पर टैरिफ प्रस्ताव दिया गया था। इस कारण बिजली दर बढ़ाने के अलावा और कोई उपाय नहीं था। इसलिए प्रति यूनिट बिजली खरीदने में कंपनियों के खर्चे के साथ अन्य खर्चे को जोड़कर टैरिफ तय की गई है। 
नेगी ने कहा कि बिजली कंपनियों के बढ़ रहे घाटे, उनकी राजस्व जरूरतें, पिछले वर्ष के घाटे की भरपाई एवं अन्य राज्यों की टैरिफ का अध्ययन करने के बाद निष्पक्ष रूप से यह फैसला लिया गया है। पिछले पांच वर्षों से राज्य में बिजली दरें लगभग स्थिर हैं। सिर्फ 2015-16 में 2.50 फीसद की मामूली वृद्धि हुई थी। उसके पहले के दो वर्षों में भी इजाफा नहीं हुआ था। पिछले वर्ष भी पुरानी दरें ही बरकरार रखी गई थीं। 
देश में पहली बार अनुदान रहित टैरिफ
बिजली दरों में इजाफे के बाद उपभोक्ताओं को अब राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी का इंतजार है। अनुदान मिलने पर बिल का बोझ काफी हद तक हल्का हो सकता है। ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि अनुदान रहित टैरिफ के मामले में बिहार नजीर बन सकता है। दूसरे राज्य भी इसे अपना सकते हैं। 
नई दरें प्रभावी होने के पहले ही राज्य सरकार अनुदान की घोषणा करने वाली है। सब्सिडी का फायदा अब सीधे उपभोक्ताओं को दिया जाएगा। उनके बिल से अनुदान के पैसे कम किए जाएंगे। अबतक सरकार बिजली कंपनियों को प्रतिमाह करीब तीन सौ करोड़ रुपये का अनुदान देती आ रही थी। 
नई टैरिफ के ऐलान से पहले ही अनुदान राशि देने की घोषणा कर दी जाती थी। कंपनियों के टैरिफ प्रस्ताव में भी इसकी चर्चा होती थी। इसके चलते उपभोक्ताओं को पहले ही राहत मिल जाया करती थी। 
कब कितनी बढ़ी दरें
2017-18 : 55 फीसद
2016-17 : वृद्धि नहीं
2015-16 : 2.5 फीसद
2014-15 : वृद्धि नहीं
2013-14 : वृद्धि नहीं
2012-13 : 6.9 फीसद
2011-12 : 12.1 फीसद 
2010-11 : 19 फीसद 
2009-10 : पांच पैसा
शहरी घरेलू उपभोक्ता 
(यूनिट : अभी : एक अप्रैल से)
शून्य से 100 यूनिट : 3 रुपये : 5.75 रुपये 
101 से 200 यूनिट : 3.65 रुपये : 6.25 रुपये 
201 से 300 यूनिट : 4.35 रुपये : 7.25 रुपये 
300 यूनिट से ज्यादा : 5.45 रुपये : 8.00 रुपये 
ग्रामीण घरेलू (मीटर वाले)
(यूनिट : अभी : एक अप्रैल से)
शून्य से 50 यूनिट : 2.10 : 5.75 
51 से 100 यूनिट : 2.40 : 6.00
100 से ज्यादा : 2.80 : 6.25
बिना मीटर : प्रति माह 500 रुपये (प्रति किलोवाट क्षमता)
कुटीर च्योति 
(बिना मीटर-बीपीएल) 60 रुपये कनेक्शन : 350 रुपये कनेक्शन
मीटर सहित : 30 यूनिट : प्रति माह 170 रुपये : 50 यूनिट तक : 5.75 रुपये
व्यावसायिक
ग्रामीण उपभोक्ता
यूनिट : नई दर 
शून्य से 100 यूनिट : 6.00 रुपये 
101 से 200 यूनिट : 6.50 रुपये 
200 से अधिक : 7.00 रुपये 
बिना मीटर : 550 रुपये प्रति किलोवाट 
शहरी उपभोक्ता
यूनिट : नई दर (कांट्रैक्ट डिमांड : 0.5 किलोवाट क्षमता तक)
100 रुपये प्रतिमाह के साथ प्रति यूनिट : 6.00 रुपये 
शहरी उपभोक्ता
यूनिट : नई दर (कांट्रैक्ट डिमांड : 0.5 किलोवाट क्षमता से अधिक )
180 रुपये प्रति कनेक्शन प्रतिमाह 
शून्य से 100 यूनिट : 6.00 रुपये 
101 से 200 यूनिट : 6.50 रुपये 
200 से अधिक : 7.00 रुपये 
कृषि 
ग्रामीण 
श्रेणी : एचपी : नई दर 
बिना मीटर : प्रति एचपी : 800 रुपये 
मीटर : प्रति माह 30 रुपये के साथ प्रति यूनिट 5.25 रुपये
कृषि 
शहरी 
श्रेणी : क्षमता : नई दर 
बिना मीटर : प्रति एचपी : 2100 रुपये 
मीटर : प्रति माह 200 रुपये के साथ प्रति यूनिट 6.20 रुपये 

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