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उड़ी अटैक : मातृभूमि की रक्षा का शानदार इतिहास समेटे है बिहार रेजिमेंट

कश्मीर के उड़ी स्थित सेना मुख्यालय पर आतंकी हमले में बिहार रेजिमेंट के 15 जवान शहीद हो गए। इस रेजिमेंट का मातृभूमि की रक्षा का शानदार इतिहास रहा है।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 19 Sep 2016 12:07 PM (IST)Updated: Mon, 19 Sep 2016 11:15 PM (IST)

पटना [राज्य ब्यूरो]। अपने प्राणों की आहुति देकर मातृभूमि की रक्षा करने का बिहार रेजिमेंट सेंटर (बीआरसी), दानापुर का समृद्ध इतिहास रहा है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब बिहार रेजिमेंट के 15 जांबाजों ने देश की संप्रभुता को अक्षुण्ण रखने के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी है। इससे पहले वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध, 1971 में बंगलादेश युद्ध, 1965 में पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेडऩे और 1947 में पाकिस्तान के बंटवारे के साथ शुरू हुए युद्ध में बिहार रेजिमेंट ने अपनी जांबाजी का लोहा दुनिया में मनवाया है।

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बिहार रेजिेमेंट का इतिहास बताता है कि जब बंगलादेश में बिहारियों ने पाकिस्तानी सेना से दो-दो हाथ किया था तो कई सैनिकों को गोलियों से भूनने की जगह सैकड़ों पाकिस्तानियों को अपनी बंदूक के संगीनों से ही चीर दिया था।

बंगलादेश में पाकिस्तान के साथ युद्ध में शिरकत कर चुके 80 वर्षीय रामसुभग सिंह बताते हैं कि वह ऐसा युद्ध था जिसमें पाकिस्तानी सैनिकों को हमने अपनी बंदूक के कुंदों से पीटा था। तब पाकिस्तानी सैनिक हमसे अपनी प्राणों की भीख मांग रहे थे।

बता दें कि उस युद्ध में जब पाकिस्तान के 96 हजार सैनिकों ने बिहार रेजिमेंट के जांबाजों के सामने अपने जो समर्पण किया था, वह विश्व में लड़े गए अबतक के सभी युद्धों में एक कीर्तिमान है। बिहार रेजिमेंट सेंटर ने अपने गठन के 75 साल के इतिहास में तीन 'अशोक चक्र' और एक 'महावीर चक्र' अपने सीने में समेटे है।

'कर्म ही धर्म है' के स्लोगन के साथ सीमा की पहरेदारी करने वाले बिहार रेजिमेंट सेंटर के गठन का श्रेय भले ही अंग्रेजी हुकूमत को जाती है, लेकिन इसने अपने स्थापना काल से भारतीय सेना के इस रेजिमेंट ने अपनी बहादुरी और देशभक्ति के जो उदाहरण पेश किए हैं, वह भारत के स्वर्णिम इतिहास में दर्ज है। युद्ध के दौरान 'जय बजरंगबली' और 'बिरसा मुंडा की जय' की हुंकार लगाने वाले बिहार रेजिमेंट के 15 जांबाजों ने रविवार की सुबह भले ही अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन उन्होंने देश का सिर उन कायरों के सामने झुकने नहीं दिया जो छद्म रूप लेकर भारतीय शेरों का शिकार करने आए थे।

बता दें कि रविवार को कश्मीर के उरी सेक्टर स्थित भारतीय सेना के कैंप पर हुए हमले में कुल 17 वीरों ने अपनी शहादत दी है। इनमें सर्वाधिक 15 बिहार रेजिमेंट के थे। इन 15 जांबाजों में छह ने बिहारी माताओं का दूध पिया था।


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