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बिहार में शराबबंदी : नशा शराब में होता तो नाचती बोतल...

बिहार में शराबबंदी विधेयक पर अबतक राज्यपाल ने अपनी मुहर नहीं लगाई है। राज्यपाल के मुहर लगते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। लेकिन क्या बिहार में यह कानून लागू हो सकेगा?

By Kajal KumariEdited By: Published: Sun, 04 Sep 2016 03:54 PM (IST)Updated: Mon, 05 Sep 2016 09:11 PM (IST)

पटना [काजल]। बिहार में शराबबंदी विधेयक मॉनसून सत्र में ही राज्य के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पास हो गया लेकिन अबतक यह राज्यपाल के पास पेंडिंग पड़ा है, अब बस राज्यपाल की मुहर लगने के बाद यह कानून सख्ती से बिहार में लागू हो जाएगा। लेकिन क्या इस विधेयक की राह बिहार में इतनी आसान है?

शराबबंदी के बाद बिहा में कुल चौदह हजार लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है।प्रतिदिन शराब की बड़ी खेपें जहां-तहां से बरामद हो रही हैं। पुलिस की सख्ती के बाद भी शराब के कार्टून और बोतलें दूसरे राज्यों से खासकर नेपाल के सीमावर्ती इलाकों से बिहार में लाकर बेची जा रही हैं। राज्य में आज भी पीने वाले मौजूद हैं, पिलाने वालों को दिक्कतें आ रही हैं।

जेलों, नशा-मुक्ति केंद्रों में बढी भीड़

शराब के आदी लोग जिनका नशा विमुक्ति केंद्र में इलाज कराया जा रहा है उनकी संख्या इतनी अधिक है कि उनके इलाज में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं गिरफ्तारियों की वजह से सूबे के जेलों में भी काफी भीड़-भाड़ बढ गयी है। शराब का धंधा करने में बच्चे भी पीछे नहीं हैं। ये बच्चों के द्वारा सीमावर्ती इलाकों से शराब की बोतलें चोरी-छुपी आ रही हैं।

बिहार में सैनिकों की बढ़ी परेशानी

वहीं शराब को लेकर गिरफ्तारी की बात करें तो बाहर से आने वाले सैनिकों को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इनका कुसूर इतना है कि कैंटीन से शराब की बोतल लेकर ये अपने घर आ रहे थे और रास्तें में पकड़े गए। अब तो सेना ने भी बिहार में सैनिकों को शराब लेकर जाने की मनाही कर दी है।

लेकिन इसे लेकर पूर्व सैनिकों ने अब राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, उन्होंने इसके लिए राज्यपाल से मुलाकात भी की है और बताया कि राज्य सरकार का सैनिकों के कैंटीन में शराब बंद करा देने के कारण उन्हें तकलीफें हो रही हैं क्योंकि वो इसके आदी हैं और धीरे-धीरे ही इसे छोड़ सकते हैं, अचानक से इसे एकदम से बंद कर देना सही निर्णय नहीं है।

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बरामद शराब की बोतलों को रखने की जगह नहीं

शराबबंदी के बाद इसकी बोतलों पर बुलडोजर चलाए गए फिर भी लोगों ने खेतों, नदियों, कुंओं,तालाबों और यहां तक कि घर के आंगन में भी जुगत लगाकर शराब की बोतलें छुपाकर रखी थीं। छुपाकर रखी गई बोतलों का पता लगाया गया और इन्हें बरामद किया गया।

अब जहां-तहां से जब्त की गई शराब की बोतलों की बरामदगी इतनी हुई है कि सरकार के पास उसे रखने की जगह नहीं है, बरामद शराब की बोतलों की संख्या इतनी अधिक है राज्य सरकार के गोदाम में इन्हें रखने की जगह नहीं है और किराए का मकान लेना पड़ा है।

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बिहार से बाहर जाकर पी रहे शराब कुछ लोग जो इसके बिना नहीं रह सकते वे सीमावर्ती इलाके में जाकर शराब पी ले रहे हैं। इसे लेकर यूपी, झारखंड और नेपाल जाने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई है और बिहार आने वाले सैलानियों की मात्रा दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। अब तो लोग डर के मारे भी बिहार नहीं आना चाह रहे कि शराब की गंध भी मिली तो गिरफ्तार ना हो जाएं।

जहरीली शराब से हो रहीं मौतें

वहीं दूसरी ओर बिहार में जहरीली शराब पीकर लोग मौत को गले लगा रहे हैं। होम्योपैथिक की दवाएं मिलनी कम हो गई हैं। जो शराब के आदी हैं उन्हें डर तो है, लेकिन करें क्या? मौतें हो रही हैं लेकिन अभी भी जहरीली शराब पीना-पिलाना लोगों ने नहीं छोड़ा है।

शराबबंदी के बाद वीडियो हो रहे वायरल

शराबबंदी के बाद एक और बात देखने को मिली है कि नेताओं के नए-पुराने वीडियो जिसमें उन्होंने कभी शराब पी थी इस तरह के वीडियोज सोशल मीडिया पर वक्त-बेवक्त शेयर किए जा रहे हैं। यानि बिहार में शराबबंदी लोगों के लिए अब कौतूहल का विषय है कि किसने छुपकर पीया, कब पीया?

कार्रवाई सब पर समान हो

शराबबंदी का दोहरा रूप भी देखने को मिल रहा है जहां बुद्धि और बल वाले लोग कार्रवाई से बच जा रहे हैं, वहीं बाहर से शराब लेकर अपने घर को लौटने वाले सैनिक जेल की हवा खा रहे हैं। यह दोयम दर्जे की बात किसी भी विधेयक के लिए सही नहीं है। कार्रवाई सब पर एक समान होनी चाहिए। तभी कोई विधेयक या कानून सही ढ़ंग से लागू हो सकेगा।

शराब बुरी नहीं, शराबियत बुरी होती है

राज्य के दौरे पर आए रंगकर्मी, अभिनेता, गायक, लेखक और फिल्म निर्देशक पीयूष मिश्रा ने अच्छी बात कही थी कि शराब बुरी होती है, शराबियत बुरी नहीं होती। उनका कहना था कि आदत बुरी होती है, आदत नहीं होनी चाहिए। वैसे बिहार में शराबबंदी है तो लोगों को नहीं पीनी चाहिए।

आदत है जो कि जाती नहीं वाला जुमला चरितार्थ करता बिहार अब यह देखना चाहता है कि आदत जो लग गई है वो धीरे-धीरे जाती है या कानून की सख्ती इस आदत को हमेशा के लिए छुड़ा देती है। कहते हैं ना नशा शराब मे होता तो नाचतीं बोतल...


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