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Bihar News : पटना में घुट रहा लोगों का दम... रोज अस्‍पतालों में बढ़ रही मरीजों की भीड़, यह बड़ी वजह आई सामने

Patna News पटना में धूल भरी हवाओं से लोगों को सांस लेने में समस्‍या हो रही है। इस कारण पुराने रोगी इन्हेलर लेने में लापरवाही के कारण परेशान हैं तो ब्रॉन्काइटिस दमा सीओपीडी रोगियों के नए रोगी भी ओपीडी पहुंच रहे हैं। पीएमसीएच में टीबी-चेस्ट रोग के विभागाध्यक्ष डा. पीके अग्रवाल ने इसे लेकर कई अहम सुझाव दिए हैं।

By Jagran News Edited By: Arijita Sen Published: Fri, 26 Apr 2024 01:41 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2024 01:41 PM (IST)
पटना में धूल भरी हवाओं से श्वास समस्या।

जागरण संवाददाता, पटना। तेज धूप एक ओर डिहाइड्रेशन व पेट की समस्याएं तो दूसरी ओर श्वास रोगियों की समस्या बढ़ा रही है। पुराने रोगी इन्हेलर लेने में लापरवाही के कारण परेशान हैं तो ब्रॉन्काइटिस, दमा, सीओपीडी रोगियों के नए रोगी भी ओपीडी पहुंच रहे हैं। इसका एक कारण तेज धूलभरी हवा, नमी की कम के अलावा धूल के साथ परागकण, बैक्टीरिया आदि का बढ़ना है।

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इस वजह से बढ़ रही हैं समस्‍याएं

तकनीक पर निर्भरता बढ़ने से प्रकृति से दूरी भी इसका बड़ा कारण है। आसपास के खेतों में मौसमी फल सब्जी या अन्न नहीं खाने व धूप में नहीं रहने से विटामिन डी की कमी फेफड़े संबंधी रोगों की आशंका बढ़ा देते हैं। 

पीएमसीएच में टीबी-चेस्ट रोग के विभागाध्यक्ष डा. पीके अग्रवाल ने बताया कि आधुनिक जीवनशैली में एक ओर प्रदूषण बढ़ा है तो दूसरी ओर शारीरिक श्रम कम होने से घी-तेल व कैलोरी का सेवन कम हुआ है। इससे वसा में घुलनशील विटामिन डी, ए और ई की अधिकतर लोगों में कमी हुई है।

विटामिन डी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद

विटामिन डी की कमी फेफड़े या श्वास संबंधी रोगियों की संख्या बढ़ने का प्रमुख कारण है। यही कारण है कि धूल भरी हवाओं में बड़ी संख्या में लोग दम फूलने व एलर्जी की शिकायत लेकर आ रहे हैं।

डा. अग्रवाल ने बताया कि विटामिन डी सीओपीडी के कारक बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से सुरक्षा देने के साथ ऐसे तत्वों को खत्म करता है जो फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचाते हैं। खाने से शरीर की जरूरत का 10 प्रतिशत ही विटामिन डी मिलता है, शेष की भरपाई सूर्य की किरणों से होती है।

यदि हर दिन आधे से एक घंटे 15 से 20 प्रतिशत त्वचा पर भी सूर्य की किरणें सीधे पड़ें और धुएं-धूप व प्रदूषण से बचा जाए तो दमा, सीओपीडी व ब्रांकाइटिस जैसे श्वास रोगों से बचा जा सकता है। डाक्टर के परामर्श अनुसार इन्हेलर या स्पेसर यंत्र इस्तेमाल करें।

बचाव के लिए रखें ध्यान

  • सुबह खाली पेट टहलने नहीं जाएं, सत्तू घोलकर पी सकते हैं।
  • धूल हो तो पानी का छिड़काव करें।
  • बिना मास्क पहने बाहर नहीं निकलें।
  • नियमित श्वांस संबंधी व्यायाम करें।
  • आधे घंटे खुली त्वचा पर धूप पड़ने दें।
  • धूम्रपान, ज्यादा धूल-धुआं वाली जगह से परहेज करें।

वादियों की हवाएं फेफड़ों के लिए वरदान

हिल स्टेशन की शुद्ध हवा फेफड़ों के लिए वरदान फेफड़ों को स्वस्थ रखना सबसे आसान है। 15 हिल स्टेशन की शुद्ध-ताजी में ली गईं गहरी सांसें फेफड़े से तमाम विषाक्त तत्वों काे निकाल देती है।

बावजूद इसके लक्षण उभरने के पहले तक हम फेफड़ों की सेहत की अनदेखी करते हैं। प्रदूषण के कारण एक ओर शारीरिक श्रम कम होने से मोटापा, फैटी लिवर की समस्याएं बढ़ रही हैं तो दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2025 तक तनाव के महामारी बनने की आशंका जताई है।

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