जासं, पटना। केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को पद्म पुरस्कारों की घोषणा की थी। इसमें बिहार के सात विभूतियों को उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कारों की घोषणा हुई थी। इनमें डा. सीपी ठाकुर, स्व. बिंदेश्वरी पाठक, पंडित राम कुमार मल्लिक, पत्रकार सुरेंद्र किशोर, अशोक कुमार विश्वास, मधुबनी के दंपती शांति व शिवन पासवान के नाम शामिल हैं।
गोदना पेंटिंग में उत्कृष्ट कार्य को लेकर राष्ट्रपति के हाथो पुरस्कृत होते शिवन पासवान।
प्रदेश के इन विभूतियों को किया गया सम्मानित
वहीं 22 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने सामाजिक कार्यों के लिए पद्म भूषण सम्मान बिंदेश्वर पाठक (मरणोपरांत) बिंदेश्वर पाठक की पत्नी अमोला पाठक को पुरस्कार दिया गया।
चिकित्सा क्षेत्र में बेहतर योगदान देने के लिए डा. सीपी ठाकुर को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। वहीं, कला क्षेत्र में गोदना कला को लेकर मधुबनी जिले के दपंती शांति देवी व शिवन पासवान को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
गोदना पेंटिंग में उत्कृष्ट कार्य को लेकर राष्ट्रपति के हाथो पुरस्कृत होते शांति देवी।
ये भी रहे सम्मान के हकदार
शेष तीन लोगों में अशोक कुमार विश्वास (टिकुली कला), सुरेंद्र किशोर (पत्रकारिता) एवं शास्त्रीय संगीत (दरभंगा घराने) के वरिष्ठ कलाकार राम कुमार मल्लिक को मई के पहले व दूसरे सप्ताह में सम्मानित किया जाएगा। पुरस्कार मिलने के बाद बिहार के कलाकारों में हर्ष का माहौल है।
इंटरनेट मीडिया पर खूब बधाई दी जा रही है। टिकुली कला के अशोक कुमार विश्वास ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि पद्म सम्मान मिलना प्रदेश के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि बाकी बचे लोगों को मई के पहले या दूसरे सप्ताह में सम्मानित किया जाएगा।
चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति के हाथों पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित होते डा. सीपी ठाकुर
गोदना पेंटिंग को बढ़ावा दे रहे हैं कलाकार
मधुबनी जिले के लहेरियागंज निवासी शांति देवी व शिवन पासवान गोदना पेंटिंग के क्षेत्र में 1980 से कार्य करते हुए कला को आगे बढ़ाने में लगे हैं। शिवन पासवान व शांति देवी ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद खुशी जाहिर करते हुए बताया कि पुरस्कार बिहार के लिए गौरव की बात है।
मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार से डा. बिंदेश्वरी पाठक को दिया गया। उनकी पत्नी अमोला पाठक पुरस्कार प्राप्त करती।
वे बताते हैं 50 वर्षों से भी अधिक समय कला क्षेत्र में दिया। इस दौरान 20 हजार से अधिक लोगों को अलग-अलग जगहों पर कला की बारीकियों से अवगत कराते रहे। कला के कारण देश-विदेश घूमने का मौका मिला। शांति देवी को 1980 में राज्य पुरस्कार और 1984 में नेशनल अवार्ड मिल चुका है।
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