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Bihar Teacher News: 3.5 लाख शिक्षकों को पटना हाई कोर्ट ने दी राहत, सक्षमता परीक्षा पर सुनाया ये फैसला

पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन ऐवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए इसे आंशिक स्वीकृति दे दी है। वहीं हाई कोर्ट ने नई शिक्षक नियमावली के रूल 4 को निरस्त कर दिया जिसके तहत सभी शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Published: Tue, 02 Apr 2024 09:47 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 09:47 PM (IST)
3.5 लाख शिक्षकों को पटना हाई कोर्ट ने दी राहत, सक्षमता परीक्षा पर सुनाया ये फैसला

राज्य ब्यूरो, पटना। पटना हाईकोर्ट ने राज्य के नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए कहा है कि सक्षमता परीक्षा में फेल होने या परीक्षा न देने पर भी वे अपने पद पर बने रहेंगे। हाई कोर्ट के इस फैसले से राज्य के लगभग 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है।

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मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन ऐवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाते हुए इसे आंशिक स्वीकृति दे दी है।

खंडपीठ ने चार मुख्य बिंदुओं पर फैसला सुनाया:

1. हाई कोर्ट ने नई शिक्षक नियमावली के रूल 4 को निरस्त कर दिया जिसके तहत सभी शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है। रूल 4 कहता है कि तीन बार मौका मिलने के बावजूद जो नियोजित शिक्षक परीक्षा नही देते हैं या फेल कर जाते हैं , उनके बारे में सरकार की शिक्षा विभाग निर्णय लेगी । इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया है ।

2. हाई कोर्ट ने बिहार राज्य शैक्षिक संस्थागत शिक्षक और कर्मचारी (शिकायत निवारण और अपील नियमावली 2020) के रूल 12 को भी निरस्त कर दिया जिसके के तहत गठित जिला/राज्य अपीलीय प्राधिकार का लंबित वादों/मामलों का इस नियमावली से प्रवित्त होने की तिथि से 6 महीने के अंदर निपटारा हो जाना चाहिए, इसके अतिरिक्त इस नियमावली के प्रवित्त होने की तिथि से ज़िला / राज्य अपीलीय प्राधिकार कोई भी नया वाद स्वीकार नहीं करेंगे ।

3. राज्य एक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करेगा , जैसा कि स्थानीय निकाय शिक्षक नियम-2020 द्वारा नियोजित शिक्षकों के लिए प्रदान किया गया है।

4. राज्य सरकार कैरियर में प्रगति के लिए भी प्रावधान करेगा तथा विभिन्न संवर्गों में एक अनुपात निर्धारित करेगा, ताकि प्रत्येक संवर्ग में प्रत्येक व्यक्ति राज्य द्वारा निर्धारित उचित शर्तों के अधीन पदोन्नति के लिए विचार किए जाने का हकदार होगा। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा ली गई सक्षमता परीक्षा को भी सही ठहराया, जिसके तहत सक्षमता परीक्षा में उत्तीर्ण शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक का दर्जा दिया जाएगा।

इस मामले में याचिकाकर्ताओं का पक्ष वरीय अधिवक्ता वाईवी गिरि, वरीय अधिवक्ता डीएस नायडू, वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा, अधिवक्ता प्रियंका सिंह, अधिवक्ता प्रिंस कुमार मिश्रा समेत अन्य ने रखा। राज्य सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पीके शाही एवं अधिवक्ता विकास कुमार ने रखा।

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