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'बिहार में लागू नहीं होगा CAA-NRC और NPR', JDU नेता का अजीबोगरीब बयान; बोले- जब तक नीतीश जी...

जदयू नेता खालिद अनवर ने कहा है कि सीएए को बिहार में लागू नहीं किया जाएगा। हमारे नेता नीतीश कुमार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि बिहार के सभी 13 करोड़ लोग बिहारी हैं इसलिए सीएए एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) या एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) की कोई आवश्यकता नहीं है। जब तक नीतीश सत्ता में रहेंगे किसी को सीएए के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।

By Agency Edited By: Rajat Mourya Published: Tue, 19 Mar 2024 08:51 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2024 08:51 PM (IST)
'बिहार में लागू नहीं होगा CAA-NRC और NPR', JDU नेता का अजीबोगरीब बयान; बोले- जब तक नीतीश जी...

एजेंसी, पटना। JDU Leader Khalid Anwar On CAA नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की आधिकारिक लाइन से हटते हुए जनता दल (यूनाइटेड) के नेता खालिद अनवर ने रविवार को बयान दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के सदस्यों को स्थायी निवास की गारंटी देने वाला कानून बिहार में लागू नहीं किया जाएगा।

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रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए अनवर ने दावा किया कि जेडीयू प्रमुख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में सीएए लागू करने से इनकार कर दिया है।

खालिद अनवर ने कहा, "सीएए को बिहार में लागू नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि राज्य के सभी 13 करोड़ निवासी बिहारी हैं और सीएए, एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) या एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या) की कोई आवश्यकता नहीं है।

'जब तक नीतीश जी सत्ता में रहेंगे...'

जदयू नेता ने आगे कहा कि जब तक नीतीश जी सत्ता में रहेंगे, किसी को भी सीएए के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है। अनवर ने यह भी कहा कि पिछली सरकार के दौरान, हमने विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया था कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। बिहार में ऐसे कानून लागू नहीं किए जाएंगे।

गौरतलब है कि गृह मंत्रालय (एमएचए) ने लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के कार्यान्वयन के लिए नियमों को अधिसूचित किया था। इस अधिनियम का उद्देश्य बांग्लादेश-पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करना है।

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