Nitish Kumar के लिए 'गेम चेंजर' साबित होगी ये स्कीम? इन परिवारों को मिल रहे 2-2 लाख रुपये
नीतीश कुमार के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना इन चुनावों में गेम चेंजर साबित हो सकती है। जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर 40 हजार लोगों को अब तक प्रथम किस्त के रूप में 50 हजार रुपए दिए जा चुके हैं। इसकी मदद से आज बड़ी संख्या में लोग अपना काम आरंभ कर अपने स्वजनों का भरण-पोषण कर रहे।
राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लायी गयी लघु उद्यमी योजना गरीबों के लिए उम्मीद की एक नयी किरण के रूप में है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर 40 हजार लोगों को अब तक प्रथम किस्त के रूप में 50 हजार रुपए दिए जा चुके हैं। इसकी मदद से आज बड़ी संख्या में लोग अपना काम आरंभ कर अपने स्वजनों का भरण-पोषण कर रहे।
94 लाख गरीब परिवारों को मिलेगा योजना का लाभ
जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि स्वरोजगार और गरीबों के आर्थिक सशक्तीकरण की दिशा में यह योजना क्रांतिकारी साबित होगा। जाति आधारित गणना के दौरान बिहार में 94 लाख से अधिक गरीब परिवार चिह्नित किए गए थे। उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता थी।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें दो-दो लाख रुपए की सहायता राशि दिए जाने का निर्णय लिया। गरीबों का कल्याण और प्रदेश का उत्थान नीतीश कुमार की पहली प्राथमिकता रही है। लघु उद्यमी योजना नीतीश सरकार की दूरदृष्टि और लोक कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
नीतीश सुशासन व राजद कुशासन का प्रतीक : राजीव
जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने मंगलवार को कहा कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद झूठ बोलने का कीर्तिमान बना रहा। पर जनता यह भूलने वाली नहीं कि नीतीश कुमार के आने से पहले बिहार में कैसी अंधेरगर्दी थी। नीतीश कुमार बिहार में सुशासन और राजद कुशासन का प्रतीक है।
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि राजद के राज में जहां विकास एक मजाक था वहीं आज नीतीश राज में बिहार की विकास दर 10.64 प्रतिशत है जो देश की विकास दर से भी अधिक है। बिहार आज देश में तेजी से बढ़ने वाले राज्यों में तीसरे नंबर पर है। आज बिहार का बजट राजद काल के मुकाबले दस गुना अधिक हो चुका है। बिहार के आमलोगों का जीवन सुधर रहा है। पिछले 16 साल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बिहार ने 11 गुना और शिक्षा के क्षेत्र में अपने खर्च को आठ गुना बढ़ाया है। परिवारवादी शासन में ऐसा सोचना भी मुमकिन नहीं था।
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