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Ayushman Card : आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज की सुविधा पाना नहीं आसान, मरीज बाजार से खरीद रहे दवाएं

Ayushman Card बिहार में आयुष्मान कार्ड बनाने का अभियान भले ही जोर-शोर से चल रहा है। जिलों में कार्ड बनाए जाने के कई रिकॉर्ड भी बन रहे हैं। परंतु मुफ्त इलाज के लिए बनाए जा रहे इन कार्ड का लाभ आम आदमी तक ठीक ढंग से पहुंचता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। इस पड़ताल करती हुई रिपोर्ट में जानिए हकीकत।

By ahmed raza hasmi Edited By: Yogesh Sahu Published: Thu, 07 Mar 2024 03:00 PM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2024 03:00 PM (IST)
Ayushman Card : आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज की सुविधा पाना नहीं आसान, मरीज बाजार से खरीद रहे दवाएं

अहमद रजा हाशमी, पटना सिटी। Ayushman Card : गरीब से गरीब आदमी गुणवत्तापूर्ण उपचार करा सके, यह आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) एवं मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का लक्ष्य है।

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अधिक से अधिक लोग हर वर्ष पांच लाख तक का पूर्णतय: मुफ्त उपचार सम्बद्ध सरकारी व निजी अस्पतालों में करा सकें, इसलिए इसे राशन कार्ड से भी जोड़ दिया गया है।

कई बड़े अस्पतालों में मरीजों की मदद के लिए आयुष्मान मित्र भी तैनात किए गए हैं, लेकिन फिर भी लोगों को मुफ्त उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

निजी ही नहीं नालंदा मेडिकल कालेज सह अस्पताल (एनएमसीएच) जैसे सरकारी संस्थानों में आयुष्मान कार्ड पर मुफ्त उपचार की सुविधा पाना आसान नहीं है।

व्यवस्था ऐसी है कि मरीजों को दवा से लेकर जांच तक सब बाहर से करानी पड़ती है। नतीजा, बहुत से मरीज पैसों के अभाव में बीच में ही उपचार बंद कर वापस घर चले जाते हैं।

कहां जाती आयुष्मान कार्ड पर भर्ती मरीज को मिली धनराशि

आयुष्मान भारत कार्ड पर भर्ती मरीज पांच लाख तक का उपचार निशुल्क करा सकता है। सरकारी अस्पतालों में जो सुविधाएं निशुल्क हैं उसकी मद में इलाज पर हुए कुल खर्च का 25 प्रतिशत अस्पताल व 25 प्रतिशत डाक्टर को मिलता है।

इस राशि का उपयोग अस्पताल की सुविधाएं बढ़ाने में करना है। ऐसे में जब एनएमसीएच में आयुष्मान भारत कार्ड पर मरीज भर्ती हो रहा है तो उसके एवज में धनराशि भी आती होगी। जब रोगी का इलाज मुफ्त होता नहीं तो वह राशि कहां जाती है?

बाजार से खरीद कर लायी गई दवाइयां दिखाते मरीज व स्वजन। फोटो- जागरण

केस 1 : सामान्य रोगियों जैसा होता व्यवहार

बाढ़ प्रखंड के विकास नगर निवासी 15 वर्षीय इंद्रजीत कुमार थायराइड का उपचार कराने के लिए 21 फरवरी को एनएमसीएच के औषधि विभाग में भर्ती हुआ था। मां टुन्नी देवी ने प्रिस्क्रिप्शन पर आयुष्मान भारत की लगी मुहर दिखाते हुए कहा कि इस कार्ड पर कोई सुविधा मुफ्त नहीं है।

अबतक दवा व जांचों पर हजारों रुपये खर्च कर परेशान हो चुके हैं। हर जांच बाहर से करानी पड़ी है। अब पैसे नहीं बचे हैं इसलिए इलाज बंद कर घर जाने की स्थिति आ गई है। अन्य रोगियों को जो सुविधा मिल रही है, उससे इतर सिर्फ इतना है कि पुर्जे पर आयुष्मान भारत की मुहर लगी हुई है।

केस 2 : दलालों की दबंगई पर शांत रहता अस्पताल प्रशासन

औषधि विभाग में ही लिवर संबंधी रोग का उपचार कराने को भर्ती हिलसा निवासी सुरेंद्र प्रसाद, आलमगंज निवासी मरीज मो. नून हसन, फतुहा निवासी किडनी रोगी मो. सगीर समेत कई मरीजों एवं स्वजनों ने बताया कि पानी चढ़ाने और एक-दो सुई ही अस्पताल से मुफ्त मिलती है।

अधिकतर दवाएं बाजार से खरीद कर लानी पड़ रही हैं। सबसे ज्यादा दुख उन्हें इस बात का है कि अस्पताल प्रशासन की अनदेखी या मिलीभगत के कारण हर वार्ड में दलाल सक्रिय हैं। ये दलाल अस्पताल में निशुल्क होने वाली जांचें भी विशेष जांच केंद्र पर कराने के लिए मजबूर करते हैं।

उनका कोई अस्पतालकर्मी विरोध नहीं करता है। स्वजन ने बताया कि ओआरएस तथा विटामिन का सिरप तक बाजार से लाना पड़ता है। इस मामले में वार्ड में मौजूद परिचारिकाओं ने बताया कि उनके पास जो दवा-सूई उपलब्ध होती है वो मरीज को देती हैं।

आयुष्मान कार्ड का लाभ 14 दिनों से भर्ती मरीज को नहीं मिलने का मामला गंभीर है। सक्रिय दलाल या जांच संबंधित अन्य शिकायतों की जांच होगी। इन मामलों में सभी विभागाध्यक्षों व यूनिट इंचार्जों की जल्द बैठक बुलाई जाएगी। - प्रो. डा. राजीव रंजन, अधीक्षक, एनएमसीए

स्टोर में उपलब्ध दवाएं सभी रोगियों को उपलब्ध कराई जाती है। दलालों की सक्रियता और बाहर से जांच कराने का मामला पूर्व में भी संज्ञान में आया है। इसे गंभीरता से लेते हुए जांच उपरांत कार्रवाई की जाएगी। - प्रो. डा. अजय कुमार सिन्हा, विभागाध्यक्ष, औषधि विभाग

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