Move to Jagran APP

पढ़ें, जीतन राम मांझी के वो बयान जिनकी वजह से खूब बटोरी सुर्खियां

अपने कुछ दिनों के कार्यकाल में ही जीतन राम मांझी ने लोगों के बीच अपने बयानों से पैठ बना ली थी। कई बार उनके बयानों पर लोगों ने कड़ा विरोध जताया तो कई बार जमकर ठहाके लेने से भी नहीं चूके।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 20 Feb 2015 09:47 PM (IST)Updated: Fri, 20 Feb 2015 10:04 PM (IST)

पटना। अपने कुछ दिनों के कार्यकाल में ही जीतन राम मांझी ने लोगों के बीच अपने बयानों से पैठ बना ली थी। कई बार उनके बयानों पर लोगों ने कड़ा विरोध जताया तो कई बार जमकर ठहाके लगाने से भी नहीं चूके। पेश है ऐसे जीतन राम मांझी के ऐसे ही कुछ चर्चित बयान...

(30 अगस्त, 2014)

चूहा मारकर खाना खराब बात नहीं है। अगर मैं भी बाढ़ में फंसा होता तो जिंदा रहने के लिए मैं भी चूहा खाता। मैं खुद मुसहर जाति से ताल्लुक रखता हूं। इसमें बुराई क्या है।

(3 सितंबर, 2014)

मैं जानता हूं कि छोटे व्यापारी लाभ के लिए जमाखोरी व कालाबाजारी में लिप्त होते हैं, ताकि वे अपने परिवार का पेट पाल सकें। हम सिर्फ मगरमच्छ को पकड़ते हैं, पोठिया को नहीं। यानी वह सिर्फ बड़े कालाबाजारियों को पकड़ते हैं। छोटे कालाबाजारी तो अपने परिवार को पालने के लिए जमाखोरी कर रहे हैं।

(8 सितंबर, 2014)

शाम को काम के बाद अगर लोग दारू पीकर सो जाएं, तो मैं उसे बुरा नहीं मानता पीना ही है तो शराब को दवा के रूप में थोड़ी-थोड़ी पियो, क्योंकि नशे के कारण महादलित लोग न तो अपने बच्चों का ध्यान रख पाते हैं, न ही जीवन को बेहतर कर पाते हैं।

(18 अक्टूबर, 2014)

अस्पताल में इलाज में कोताही बरतने वाले डॉक्टरों का नाम लिखकर मेरे पास भेजें, उन्हें हम घर बैठा देंगे। गरीबों के साथ नाइंसाफी कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। उनके इलाज में लापरवाही हुई तो डॉक्टरों के हाथ काट लिए जाएंगे।

(11 नवंबर, 2014)

अगड़ी जाति के लोग विदेशी और आर्यों की संतान हैं, जो विदेश से यहां आए हैं। देश के मूल निवासी दलित और आदिवासी वर्ग के लोग हैं।

(14 नवंबर, 2014)

बिहार के जवान आदमी काम की तलाश में राज्य से बाहर चले जाते थे और साल भर बाद आते थे। ऐसे में आपकी पत्नी यहां घर पर क्या करती थी, यह सोचने की बात है।

(17 नवंबर, 2014)

जब वो मंत्री थे, तो उनके पास एक जाति विशेष की शिकायत लेकर एक महिला आई, लेकिन उन्होंने उसकी मदद सिर्फ इसलिए नहीं की, क्योंकि उस क्षेत्र में उस जाति के महज 50 हजार वोट ही थे।

(20 नवंबर, 2014)

मोदी सरकार में शामिल बिहार के 7 मंत्रियों को वे बिहार में घुसने नहीं देंगे। राज्य की जरूरत के मुताबिक मदद नहीं मिली तो बिहार में उनका आना मुश्किल कर देंगे।

(3 दिसंबर, 2014)

जब मैं राजनीति में आया तो मुझे ठुकराया गया। इस वजह से सीएम बन गया। अब और ठुकराएंगे तो पीएम बन जाऊंगा।

(5 जनवरी, 2015)

नक्सली क्या गलत कहते और करते हैं। मैं उनके साथ हूं। मानता हूं कि ठेकेदारों ने लूट मचा रखी हैं। ऐसे ठेकेदारों से लेवी वसूलना कहीं से गलत नहीं है। क्या माओवादी विदेशी हैं। माओवादी बन गए लोग भी हमारे समाज के ही हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सकता है; लेकिन बंदूक से नहीं, बल्कि विकास के जरिए।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.