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जर्जर पटरी पर दौड़ रही रेल

शैलेश कुमार, संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा): रेल विभाग की उदासीनता के कारण रेलवे स्टेशन की स्थिति

By Edited By: Published: Wed, 11 Feb 2015 01:10 AM (IST)Updated: Wed, 11 Feb 2015 01:10 AM (IST)
जर्जर पटरी पर दौड़ रही रेल

शैलेश कुमार, संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा): रेल विभाग की उदासीनता के कारण रेलवे स्टेशन की स्थिति बदहाल बनी हुई है। जबकि स्टेशन का जुड़ाव सीमावर्ती जिले पूर्णिया, खगड़िया, भागलपुर एवं सहरसा से है। वहीं उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र का एकमात्र रेलवे स्टेशन है। बिहारीगंज स्टेशन से बनमनखी जंक्शन के लिए सवारी गाड़ी छोटी लाईन पर रेंग रही हैं। इस रेलखंड पर अप 52537 का 11.00, 52535 का 16.00, 52533 का 20.50 बजे समय सारणी निर्धारित है। जबकि डाउन 52538 का 06.30, 52534 का 11.30 एवं 52536 का 16.20 बजे समय सारणी निर्धारित है। इसके बावजूद पटरी की स्थिति दयनीय बनी हुई है। विभाग के द्वारा मात्र 27 किलोमीटर की दूरी के लिए दो घटे का समय निर्धारित किया गया है। बताया जाता है कि अंग्रेज के जमाने से तय समय सीमा से सवारी गाड़ी का आवागमन जारी है। पटरी पर बोल्डर का नामोनिशान तक मिट चुका है। डब्बे को देखें तो 25 वर्षो से अधिक पुराने डब्बे का उपयोग किया जा रहा है।

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लंबी दूरी के ट्रेन का मेल नहीं रहने से परेशानी

बिहारीगंज से लंबी दूरी के ट्रेन का मेल नहीं रहने से रेलवे को राजस्व का घाटा हो रहा है। बिहारीगंज से समस्तीपुर एवं पूर्णिया तक सीधी सेवा रहने पर प्रतिमाह लाखों का व्यवसाय हुआ करता था।

------------------ बिहारीगंज-कुरसेला बड़ी लाईन निर्माण पर लगा है ग्रहण

बिहारीगंज-कुरसेला प्रस्तावित नई बड़ी रेल लाईन निर्माण कार्य पर लगा है ग्रहण लगा हुआ है। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने बजट सत्र 2009-10 में बिहारीगंज-रूपौली- कुरसेला नई बड़ी रेल लाईन 57 किलोमीटर तक रेल बजट में पारित किए जाने पर कोसी एवं सीमाचल के लोगों को एक नई उम्मीद जगी थी। लेकिन लालू प्रसाद के हटते ही बिहारीगंज-कुरसेला नई रेल लाईन ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। इससे मधेपुरा, पूर्णिया एवं कटिहार तीन जिले को मिलाने वाली रेल लाईन योजना अधर में है।

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बिना सिग्नल के चलती

है सवारी गाड़ी

बिहारीगंज-बनमनखी रेल खंड पर दो दशक पूर्व सिगनल के सहारे सवारी गाड़िया चला करती थी। लेकिन तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल से ही बिना सिगनल पर गाड़िया चलती है। स्टेशन से आधा किलोमीटर की दूरी पर लगा सिगनल मानो शोभा की वस्तु बनी हुई है।

-------------------- शौचालय में फैली रहती है गंदगी

स्टेशन परिसर में शौचालय की स्थिति इतनी खराब है कि यात्री उसमें नहीं जाते। इससे काफी परेशानी होती है। खासकर महिलाओं को और अधिक दिक्कत होती है।

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अंधेरे बितानी पड़ती है रात रात

स्टेशन में रोशनी के लिए दो जेनरेटर एवं आधे दर्जन सौर ऊर्जा प्लेट लगी हुई है। फिर भी विभागीय लापरवाही एवं देखरेख के अभाव बेकार साबित हो रहस है। फलाफल स्टेशन परिसर में अंधेरा पसरा रहता है। ऐसी स्थिति में यात्रियों को अंधेरे में रात गुजारनी पड़ती है।

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रेलवे स्टेशन परिसर में खुलेआम बिकती है शराब

रेलवे स्टेशनों पर खुलेआम शराब बेचा जाता है। आदिवासी समुदाय की दर्जनों महिलाएं शाम होते ही रेलवे परिसर में अवैध देशी शराब की दुकानें सजाकर वहां बैठ जाती है।

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पहुंच पथ भी है जर्जर

बिहारीगंज बाजार से रेलवे स्टेशन पहुंच पथ जर्जर रहने के कारण यात्रियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। हल्की बारिश होने पर कीचड़मय सड़कों पर चलना यात्रियों को मजबूरी बन जाती है। ऐसी सड़कों पर बच्चो एवं महिलाओं को खासे परेशानिया उठानी पड़ती है। रेलवे स्टेशन में कई समस्याएं रहने के बावजूद विभाग के अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता।

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रेलवे स्टेशन की स्थिति की जानकारी वरीय अधिकारियों को दी गयी है। निदान भी समय-समय पर किया जाता है। बिहारीगंज-बनमनखी मीटर गेज लाईन रहने के कारण पुरानी बोगियों का इस्तेमाल की जा रही है। तकनीकी खराबी के कारण सौर ऊर्जा लाइट नहीं जल रहीं है। इसके सुधार के लिए विभाग को लिखा गया है।

मनोज कुमार

स्टेशन अधीक्षक

बिहारीगंज (मधेपुरा)


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