कैसे हो इलाज अस्पताल खुद है बीमार
भोजपुर । प्रखंड के महुआव गाव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सरकारी उपेक्षा के कारण अ
भोजपुर । प्रखंड के महुआव गाव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सरकारी उपेक्षा के कारण आम लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा। रखरखाव के अभाव में भवन जहा जंगली पौधों से घिरा हुआ है वही दवा की उपलब्धता नहीं के बराबर है। यहा पदस्थापित स्वास्थ्यकर्मी को अन्यत्र प्रतिनियुक्त पर भेज दिया गया है। यह अस्पताल 7 बेड का है परन्तु बेडों का अता पता नहीं है। पहले यह स्वास्थ्य उपकेन्द्र था परन्तु इसी गाव में जन्में पूर्व मुख्यमंत्री स्व बिन्देश्वरी दूबे द्वारा इसे उत्क्रमित कर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का दर्जा दिया गया था।
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दवा ही नहीं रूई बैंडेज तक का अभाव :
अस्पताल में रूई बैंडेज तथा दवा नहीं के बराबर है। सूत्रों की माने तो यहां संसाधन और मामूली दवा तक नहीं है। दवा के अभाव तथा चिकित्सक सहित स्वास्थ्य कर्मियों के नहीं आने से मरीज अस्पताल में नहीं के बराबर आ रहे हैं।
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सिर्फ एक दिन खुलता है अस्पताल : अस्पताल खुलने की स्थिति सिर्फ एक दिन में सिमट कर रह गया है। बुधवार को टीकाकरण हेतु एक दिन अस्पताल खुलता है जहा एक एएनएम तथा एक चतुर्थवर्गीय कर्मी उपस्थित रहते हैं।
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जंगली पौधों से घिरा है अस्पताल : अस्पताल रख रखाव के अभाव में जंगली पौधे से पूरी तरह घिरा हुआ है तथा इसके सामने का फर्श जिसे हाल ही में बनाया गया था पूरी तरह टूट चुका है।
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अदद झाडू खरीदने को नहीं निकल सकते पैसे :
अस्पताल में रोगी कल्याण समिति है उसमें पैसे भी है लगभग एक लाख रूपये। परन्तु उसे निकाल कर झाडू़ खरीदना मुश्किल है। इसलिए कि समिति की सचिव आयुष चिकित्सक थी जिनके चले जाने का कारण खाता संचालन ठप है। सफाई से लेकर झाडू़ के लिए पैसा उपलब्ध होना मुश्किल है। खाता संचालन भविष्य में कैसे होगा इस पर व्यवस्था चुप्पी मारे हुए है।
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एक एएनएम व दो चतुर्थवर्गीय कर्मी के भरोसे चल रहा है स्वास्थ्य केन्द्र : यहा पदस्थापित फर्मासिस्ट एवं एक स्वास्थ्य कर्मी की प्रतिनियुक्ति तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिहिया में तथा चिकित्सा पदाधिकारी को भी यही का प्रभारी बनाकर यहा की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेकार कर दिया गया है।
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स्वास्थ्य सेवा का नहीं मिल रहा लाभ : यदि इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था पटरी पर रहती तो इससे आसपास के दर्जनों गाव के हजारों लोगों को आसानी से स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलता पर ऐसा नहीं होने से आम लोगों में निराशा व्याप्त है।
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कहते हैं ग्रामीण :
बिंदा सिंह कहते हैं अस्पताल सिर्फ एक दिन बुधवार को खुलता है जहा देखा जाता है कि एक नर्स टीकाकरण का काम करती है। पप्पू मिश्रा कहते हैं अस्पताल में दवा बैंडेज रूई नहीं है। एक तो अस्पताल बंद रहता है,एक दिन खुलता भी है तो दवा नहीं मिलता, लोग अस्पताल जाना छोड़ दिए हैं। कमल सिंह कहते हैं कि अस्पताल में गंदगी का साम्राज्य है न झाडू़ लग रहा है न जंगल साफ हो रहा है। यहा न कोई बोलने वाला है न टोकने वाला। अस्पताल के बचे कर्मी अपनी मर्जी से आते व जाते हैं। चंचल दूबे कहते हैं कैसे माना जाय कि स्वास्थ्य व्यवस्था सुधरा है। अस्पताल में न दवा है न रूई बैंडेज। हमें तो इसे अस्पताल कहना ही हास्यास्पद लगता है। विजय दूबे कहते है पहले प्रभारी बुधवार को दिखते थे पर अब नही। पता चला है अब वे बिहिया के प्रभारी बन गये हैं। कहना था कि प्रखण्ड में जितने स्वास्थ्य उपकेन्द्र है उनके प्रति विभागीय उपेक्षा देखी जा सकती है।
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कहते हैं अधिकारी :
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बिहिया एन के प्रसाद का है कहना कि वे फिलहाल बिहिया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी हैं। जिम्मेवारी बढ़ गयी हैं। रोगी कल्याण समिति के सचिव के नहीं होने से उस खाते में जमा राशि को निकालना संभव नहीं है। फिर भी इसी में कुछ न कुछ व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया जाएगा।