Banka LS Seat : यहां फंसती रही दिग्गजों की प्रतिष्ठा, जॉर्ज को दिखाया था बाहर का रास्ता
राजपूत यादव बहुल बांका पर सियासत के कई रंग दिखते रहे हैं। 1980 के बाद से यहां की राजनीति में परिवर्तन के संकेत मिलने लगे थे। हालांकि यह सीट कांग्रेस के कब्जे में ही रही।
भागलपुर [संजय सिंह]। बांका संसदीय सीट शुरू से ही राष्ट्रीय राजनीति का गढ़ रही है। वहां से जार्ज फनार्डिस और मधु लिमिये सरीखे नेता भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। हालांकि, यहां की जनता बड़े-बड़े दिग्गजों को भी बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। जार्ज यहां से दो बार चुनाव लड़े, लेकिन एक बार भी जीत नहीं पाए। कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह, मधु लिमिये, गिद्धौर महाराज प्रताप सिंह और दिग्विजय सिंह जैसी शख्सियतों ने इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
राजपूत, यादव बहुल इस सीट पर सियासत के कई रंग दिखते रहे हैं। 1980 के बाद से यहां की राजनीति में परिवर्तन के संकेत मिलने लगे थे। हालांकि यह सीट कांग्रेस के कब्जे में ही रही। लेकिन, दो-दो बार जार्ज फनार्डिस के चुनाव मैदान में उतरने से यह क्षेत्र राजनीति का एक नया केंद्र बिंदु बनने लगा था। उसका असर आगे आने वाले चुनावों में भी दिखा। यहां कांग्रेस ने अपनी जमीन खो दी।
आधी आबादी को राजनीति में हिस्सेदारी की चर्चा भले ही अब जोर-शोर से हो रही हो, लेकिन बांका संसदीय सीट को यह सौभाग्य प्राप्त है कि यहां शकुंतला देवी पहली सांसद चुनी गई थीं। उन्होंने 57 से 62 तक कांग्रेस पार्टी की ओर से बांका का प्रतिनिधित्व किया था। 1967 में कांग्रेस के बीएस शर्मा यहां के सांसद हुए। लेकिन, 71 में कांग्रेस की ओर से ही शिव चंद्रिका प्रसाद सांसद बने।
जेपी आंदोलन के बाद बांका लोकसभा चुनाव में भी स्थितियां बदलीं। यहां के मतदाताओं ने मधु लिमिये को अपना सांसद चुना। 80 से लेकर 1986 तक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह या उनकी पत्नी मनोरमा सिंह ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। देश के प्रधानमंत्री रहे विश्वनाथ प्रताप सिंह के समधी प्रताप सिंह ने भी इस इलाके का प्रतिनिधित्व 1989 से लेकर 91 तक किया।
1996 में और 99 में यहां के सांसद गिरिधारी यादव हुए। वे राष्ट्रीय जनता दल के नुमांइदे थे। दादा के नाम से प्रसिद्ध दिग्विजय सिंह को इस बात का सौभाग्य प्राप्त है कि उन्होंने तीन दफा बांका लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। वे ऐसे नेता थे जो 2009 के चुनाव में निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की। उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में 2010 में उनकी पत्नी पुतुल देवी चुनाव जीतीं। लेकिन, 2014 के चुनावी दंगल में पुतुल देवी राजद प्रत्याशी पूर्व मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव से पराजित हो गईं।
लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही बांका में रोज नए राजनीतिक समीकरण गढ़े और मिटाए जा रहे हैं। राजद यहां अपनी सीट वापसी के लिए एड़ी-चोटी एक करेगी। वहीं एनडीए को भी इस लोकसभा सीट पर पुनर्वापसी के लिए पूरे दमखम के साथ लगना होगा।
बांका लोकसभा
इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत अमरपुर, धोरैया, बांका, काटोरिया, बेलहर, सुलतानगंज विधानसभा आते हैं।
बांका जिले में 11 ब्लॉक तथा 185 पंचायतें हैं।
जिले की कुल आबादी करीब 24,7858 है।
यह लोकसभा क्षेत्र के 9 प्रखंड नक्सल प्रभावित हैं।
शकुंतला देवी चुनी गई थीं बांका की पहली सांसद