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ये है बिहार की खूनी सड़क, तीन महीने में गई 65 लोगों की जान

बिहार की लाइफलाइन माने जाने वाली जीटी रोड खूनी सड़क बनती जा रही है। आंकड़ों पर गौर करें तो इस सड़क पर प्रतिदिन किसी न किसी की मौत होती है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sat, 22 Apr 2017 04:48 PM (IST)Updated: Sat, 22 Apr 2017 09:27 PM (IST)
ये है बिहार की खूनी सड़क, तीन महीने में गई 65 लोगों की जान
ये है बिहार की खूनी सड़क, तीन महीने में गई 65 लोगों की जान

औरंगाबाद [जेएनएन]। बिहार का एक सड़क ऐसा भी है जो सूबे की लाइफ लाइन माना जाता है, लेकिन कुछ समय से यह सड़क खूनी बन गया है। लगभग प्रतिदिन इस सड़क पर किसी न किसी की जान जाती है। शायद ही ऐसा कोई दिन होता होगा, जब इस सड़क पर दुर्घटना नहीं होती है। ये सड़क है शेरशाह सूरी द्वारा बनवाया हुआ जीटी रोड। लोग इसे ग्रैंडट्रंक रोड के नाम से भी जानते हैं। 

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जीटी रोड से लेकर अन्य हाइवे पर हर दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। हादसे में लोगों की मौत हो रही है। घायल होकर विकलांग हो रहे हैं। पुलिस विभाग ने अपराध अनुसंधान विभाग को आंकड़ा भेजा है जिसमें कहा गया है कि जीटी रोड से लेकर जिले के अन्य हाइवे पर प्रतिदिन सड़क दुर्घटना होती है।

सर्वाधिक दुर्घटना जीटी रोड पर होती है। आंकड़ा के अनुसार जनवरी, फरवरी एवं मार्च माह में कुल 83 सड़क दुर्घटना हुई। इन दुर्घटनाओं में 65 लोगों की मौत हुई है। 33 लोग घायल हुए हैं। अप्रैल माह में अबतक 21 घटना घट चुकी है जिसमें 10 लोगों की मौत हो चुकी है। हादसे से लाइफ लाइन खूनी बनती जा रही है।

सड़क दुर्घटनाओं से हाइवे पर यात्रियों की सुरक्षित यात्रा को लेकर एनएचएआई से लेकर राज्य सरकार के परिवहन विभाग के तमाम कानून कायदे एवं जागरूकता अभियान पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। जीटी रोड पर दुर्घटना रोकने के लिए एनएचएआई एवं परिवहन विभाग के द्वारा हर वर्ष जागरूकता अभियान चलाया जाता है पर यह महज शहर के चंद दूरी तक ही सिमट कर रह जाती है।

अधिकांश सड़क हादसे वाहनों की तेज रफ्तार एवं लोगों की लापरवाही से होती है पर जिम्मेदार विभाग न तो तेज रफ्तार में दौडऩे वाली वाहनों की धर पकड़ करती है न लापरवाही पर कोई कार्रवाई। जीटी रोड अथवा जिले के अन्य हाइवे पर गति सीमा अथवा दुर्घटना रोकने को लेकर जागरूकता संकेतक बोर्ड नहीं दिखता है।

शुक्रवार शाम जीटी रोड शिवगंज में सड़क पर करने के दौरान वाहन से कुचलकर मां एवं दो पुत्रियों की मौत हो गई। मौत के बाद भी शनिवार को यहां मौत का सामना करते ग्रामीण दौड़ते ट्रकों के आगे से सड़क पार करते रहे। यही लापरवाही मौत का कारण बनती है।

यहां हाइवे पर लगने वाली अवैध पार्किंग पर कोई रोक नहीं दिखी। दुर्घटनाएं के बाद भी हाइवे से अवैध वाहनों को स्टैंड नहीं हटाया जा रहा है। जीटी रोड पर कई जगह वाहनों के अवैध स्टैंड से हादसे होते हैं, बड़ा हादसा का भय बना रहता है।

जीटी रोड पर डेंजर जोन
पुलिस विभाग ने सड़क हादसे को देखते हुए जीटी रोड पर कई जगहों को डेंजर जोन घोषित किया है। बारुण के केशव मोड़, मंजूराही, ब्लाक मोड़, सीरीस, योगिया, नगर थाना के जसोइया मोड़, महाराणा प्रताप चौक, कथरूआ, कामा बिगहा, फारम, मुफस्सिल थाना के के ओरा, देव मोड़, मदनपुर थाना के शिवगंज, मदनपुर बाजार, खिरियावां मोड़ को डेंजर जोन घोषित किया गया है।

इसी तरह एनएच 139 एवं एनएच 98 पर भी कई जगह दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र घोषित किया गया है। इन जगहों पर सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती है। यहां पर दुर्घटना रोकने के लिए एसपी स्तर से परिवहन विभाग को संकेतक बोर्ड लगाने को पत्र लिखा गया है।

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कहते हैं डीटीओ
डीटीओ रविंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि जीटी रोड पर सड़क हादसे रोकने की जिम्मेदारी एनएचएआई की है। परिवहन विभाग के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। शराब पीकर वाहन चलाने वाले चालकों को पकड़ा जाता है।

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