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टीम के नहीं पहुंचने पर ग्रामीणों में आक्रोश

बाटम === फोटो - 29 एआरआर- 13 कैप्शन- आक्रोश व्यक्त करते ग्रामीण। बसैटी(अररिया),संसू: रानीगंज प

By Edited By: Published: Mon, 29 Sep 2014 08:52 PM (IST)Updated: Mon, 29 Sep 2014 08:52 PM (IST)
टीम के नहीं पहुंचने पर ग्रामीणों में आक्रोश

बाटम ===

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फोटो - 29 एआरआर- 13

कैप्शन- आक्रोश व्यक्त करते ग्रामीण।

बसैटी(अररिया),संसू: रानीगंज प्रखंड के बौसी पंचातय के वार्ड नंबर सात के महादलित परिवार के ग्रामीणों ने सोमवार को चिकित्सक के टीम उसके गांव नहीं पहुंचने पर आक्रोश व्यक्त किया है। ग्रामीण जोगेन्द्र ऋषि, भोलिया देवी आदि का आरोप है की उसके गांव में भी घाताई ऋषिदेव के तीन वर्ष पूत्र नौ दिन पहले मौत हो गयी थी तथा एक बच्चा अब भी पुर्णियां में इलाजरत है अन्य बच्चे भी बीमार है। उन्होंने कहा हमलोग गरीब मजदूर हैं। हमारे गांव में एक भी अस्पताल नहीं है। और कभी सरकारी स्तर पर हमलोगों का इलाज नहीं होता है। हमारे यहां सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पाता है। ग्रामीणों ने गांव चिकित्सकों द्वारा जांच कर दवाई की मांग विभाग से की है।

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सच में जागरण पत्र ही नहीं मित्र भी..

= छह माह पूर्व में भी मर चुके हैं कई बच्चे

बसैटी(अररिया),संसू: रानीगंज प्रखड के सदूर ग्रामीण क्षेत्र मझुआ और बसैटी, बौसीं में अबतक 11 बच्चों की मौत अज्ञात बीमारी से होने की खबर है। जब कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से अबतक सात बच्चों की मौत की पुष्टि की जा रही है। जबकि टीम अब भी मझुआ वार्ड नंबर पांच और बौसी वार्ड नंबर दो नहीं पहुंच सकी है। जहां गणेशी ऋषिदेव की बेटी ओर घोताई ऋषिदेव की पुत्र की मौत दस दिन पूर्व इसी तरह के बीमारी से हुई थी। विभाग कहती है कि विगत दस से पंद्रह दिनों के अंदर सात बच्चे की मौत हुयी जबकि अन्य बच्चे छह माह पूर्व में मरे थे। बहरहाल जो भी हो परन्तु स्वास्थ्य विभाग पर ग्रामीणों के कई सवाल उठने लगे हैं। यदि दस दिनों से बच्चे की मौत हो रही थी तो फिर विभाग हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठी थी। क्या विभाग को इस की सूचना नहीं थी। यदि नहीं थी फिर क्यों नहीं थी। जबकि सरकार की ओर से हर गांव में एक आशा कार्यकर्ता तैनात किया गया है। इसके अलावा एएनएम और आंगन बाड़ी केन्द्रों पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही है। साथ ही साथ सरकार द्वारा कई प्रकार के जगरुकता अभियान चलाये जा रहे हैं। क्या विभागीय तंत्र विफल हो गयी है? ऐसे कई सवाल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। बहुत बड़ी आबादी आज भी ग्रामीण चिकित्सक पर आश्रित है। जो उनके लिये भगवान साबित हो रहा है। रेफरल अस्पताल रानीगंज को यदि छोड़ दिया जाये तो किसी भी स्वास्थ्य केन्द्र या उपकेन्द्र पर एमबीबीएस डाक्टर की तैनाती नहीं है। वहीं विभाग एमबीबीएस चिकित्सकों की कमी की रोना रो रहे हैं। सभी अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र पर पियूष चिकित्सक का तैनाती किया गया है। वह भी केन्द्र पर गाहे बगाहे दिखाई देते हैं। ग्रामीण इमतियाज अंसारी व सिददीक अंसारी व जोगी ऋषिदेव आदि का कहना था कि यदि अखबार की सुर्खी नहीं बनती तो शायद पदाधिकारी गांव तक नहीं पहुंचते और अन्य पीड़ित बच्चों का भला नही पाता है। गरीबी के रानीगंज अररिया जा नहीं पाते हैं। क्या विभाग मौत की एक लम्बी फेरिस्त तैयार करना चाहती थी। विभाग का नींद तब टूटी जब एक दर्जन बच्चे मौत के आगोश में शमा गये। ग्रामीणों ने जागरण परिवार को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सच में जागरण पत्र नहीं मित्र भी है। जो दुख सुख में लोगों का साथ रहता है।


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