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Warren Buffett: दुनिया के सबसे बड़े निवेशक ने इस फिल्म स्टूडियो में बेची पूरी हिस्सेदारी, हुआ भारी नुकसान

अमेरिका के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे (Warren Buffett) की कंपनी बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathaway) ने फिल्म स्टूडियो पैरामाउंट में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है। बर्कशायर के पास 2023 के अंत तक 6.33 करोड़ पैरामाउंट ग्लोबल क्लास बी शेयर थे। बफे ने बताया कि इससे बर्कशायर को काफी नुकसान हुआ है। आइए जानते हैं कि वॉरेन बफेट कौन हैं और उन्होंने पैरामाउंट में हिस्सेदारी क्यों बेची?

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Published: Sun, 05 May 2024 12:34 PM (IST)Updated: Sun, 05 May 2024 01:17 PM (IST)
वॉरेन बफे ने भारत के पेमेंट ऐप पेटीएम में भी निवेश किया था।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के वॉरेन बफे (Warren Buffett) दुनिया के सबसे मशहूर निवेशक माने जाते हैं। उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे (Berkshire Hathaway) का शेयर दुनिया में सबसे महंगा है। अगर आपको बर्कशायर हैथवे के क्लास ए का एक भी शेयर खरीदना है, तो 5 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने पड़ेंगे। बफे को दुनियाभर के लाखों मशहूर निवेशक अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं।

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हालांकि, बफे ने भी कई ऐसे निवेश किए हैं, जिसमें उन्हें भारी नुकसान हुआ है। इसमें से एक है, फिल्म स्टूडियोज पैरामाउंट में इन्वेस्टमेंट। बफे ने बर्कशायर की एनुअल शेयरहोल्डर्स मीटिंग में बताया कि कंपनी ने पैरामाउंट में अपनी पूरी हिस्सेदारी घाटे में बेच दी है।

क्या कहा वॉरेन बफे ने?

बफे ने कहा, 'पैरामाउंट में निवेश और उससे बाहर निकलने का पूरा फैसला मेरा था और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं। हमने पैरामाउंट में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी है और इसमें हमें काफी नुकसान हुआ है।' बर्कशायर के पास 2023 के अंत तक 6.33 करोड़ पैरामाउंट ग्लोबल क्लास बी शेयर थे।

बफे ने कहा कि पैरामाउंट के असफल दांव ने उन्हें गहराई से इस बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि लोग अपने खाली वक्त में किस चीज को प्राथमिकता दे रहे हैं। बफे ने पहले कहा था कि स्ट्रीमिंग इंडस्ट्री में बहुत-सी कंपनियां दर्शकों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही हैं, जिससे कड़ा प्राइस वॉर छिड़ गया है।

पैरामाउंट के साथ क्या दिक्कत है?

पैरामाउंट (Paramount) ने ट्रांसफॉर्मर और टर्मिनेटर जैसी कई चर्चित फिल्में बनाई है। लेकिन, पिछले साल हॉलीवुड के फिल्म लेखकों और अभिनेताओं ने हड़ताल कर दी थी। वे लोग फिल्म मेकिंग में जेनरेटिव एआई (GenAI) और वेतन के मुद्दे को लेकर नाराज थे। उनकी महीनों की हड़ताल से अन्य फिल्म स्टूडियो की तरह पैरामाउंट भी प्रभावित हुआ।

ऐड मार्केट भी ठंडा है। अमेरिका में घटते केबल सब्सक्राइबर के चलते अब इसके टीवी बिजनेस से भी ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा। पैरामाउंट बोर्ड की एक विशेष समित स्काईडांस मीडिया के एक साथ एक खास डील करने वाली थी। लेकिन, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि अब पैरामाउंट उस डील को नहीं करेगा।

कौन हैं वॉरेन बफे (Warren Buffett)

  • 30 अगस्त 1930 को जन्मे वॉरेन बफे ने काफी कम उम्र से निवेश की शुरुआत कर दी थी। उन्होंने अपना पहला शेयर सिर्फ 11 साल की उम्र में खरीदा। 14 साल की उम्र में अपना पहला रियल एस्टेट निवेश किया।
  • बफे ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में बिजनेस की डिग्री लेने के दौरान मशहूर निवेशक बेंजामिन ग्राहम के साथ काम किया। वैसे बफे हार्वर्ड में पढ़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें दाखिला नहीं मिला।
  • बफे ने चार्ली मुंगर के साथ मिलकर एक बीमारू टेक्सटाइल कंपनी बर्कशायर हैथवे को खरीदा। उन्होंने बाद बर्कशायर हैथवे को ही निवेश करने और दूसरे बिजनेस को खरीदने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया।
  • बफे सही मायने में एक वैल्यू इन्वेस्टर हैं। उनका मूल मंत्र ऐसे कंपनियों के शेयर खरीदना है, जिनके शेयरों का दाम कम हो, लेकिन उनका फंडामेंटल मजबूत हो। वह शेयरों को लंबे वक्त तक होल्ड करते हैं।
  • बर्कशायर हैथवे ने 2018 में भारत की Paytm में 2,200 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन, यह बफे के लिए यह घाटे का सौदा साबित हुआ। उन्होंने 2023 में पेटीएम में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच दी।
  • बफे परोपकारी शख्यित के मालिक हैं। उन्होंने अपनी मृत्यु के बाद 100 अरब डॉलर से अधिक की विशाल रकम बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन को देने का वादा किया है।

भारत के बारे में क्या कहा वॉरेन बफे ने?

वॉरेन बफे ने बर्कशायर हैथवे की एनुअल मीटिंग में निवेश की आगामी योजनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका फिलहाल निवेश के लिहाज से उनकी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है। बफे ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है। इसलिए इनमें निवेश करना मुनाफे का सौदा होगा।

बफे ने जापान में अपने निवेश पर संतुष्टि जताई। भारत में निवेश के सवाल पर कहा कि भारत जैसे देश में अवसरों की भरमा है, लेकिन अभी उनका वहां इन्वेस्ट करने का कोई इरादा नहीं है। इससे लगता है कि बफे अभी तक पेटीएम में निवेश के नुकसान को भुला नहीं पाए हैं।

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