ICJ के लिए आज होगी नए चरण की वोटिंग, भारत-ब्रिटेन के बीच कड़ी टक्कर
अंतरराष्ट्रीय अदालत में जज के लिए ब्रिटेन के क्रिस्टोफर ग्रीनवुड और भारत के दलवीर भंडारी बीच किसी एक का चुनाव होना है।
संयुक्त राष्ट्र (जेएनएन)। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत(आईसीजे) में नये जजों की नियुक्ति की कवायद में आज अहम चुनाव होना है। इस चुनाव में भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी और ब्रिटेन के जज क्रिस्टोफर ग्रीनवुड के बीच कड़ी टक्कर है।
जाधव मामले पर भारत के लिए अहम चुनाव
बीते एक हफ्ते से चल रही चुनाव की प्रकिया में अब तक जस्टिस भंडारी और जस्टिस ग्रीनवुड के बीच मुकाबला कांटे का रहा है। यह चुनाव भारत के लिए आईसीजे में कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। यदिं जस्टिस भंडारी ब्रिटेन के जस्टिस ग्रीनवुड को हराकर आईसीजे में पहुंचते है तो यह भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कूटनीतिक जीत होगी। क्योंकि भंडारी का बहुमत यह तय करेगा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का कुनबा भी पहली बार टूटकर भारत के पक्ष में वोट करेगा।
संरा में भारत के दबदबे से परेशान ब्रिटेन
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में भारत के पुख्ता आधार को देख ब्रिटेन परेशान हो उठा है। सोमवार को होने वाले अगले चरण के मतदान के पूर्व ही ब्रिटेन ने 'ज्वायंट कांफ्रेंस मेकानिज्म' का राग अलापना शुरू कर दिया है। दरअसल ब्रिटेन को पता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के दबदबे को तोड़ पाना उसके बूते की बात नहीं है। यहां ब्रिटेन के मुकाबले भारत 50 मतों से आगे है या यूं कहें कि 193 सदस्यों वाली यूएन महासभा में भारत के पाले में दो-तिहाई देश खड़े हैं। इससे ब्रिटेन की बौखलाहट बढ़ गई है। हालांकि 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन को बहुमत है लेकिन केवल इससे बात नहीं बनती है। इसके दम पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य देशों की आवाज नहीं दबाई जा सकती है।
ब्रिटेन का प्रस्ताव- रोकी जाए चुनाव प्रक्रिया
भारत के उम्मीदवार दलवीर भंडारी के सम्मान में शुक्रवार को दिए गए भोज में दुनिया के 160 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। इसके बाद से ही ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से अनौपचारिक बातचीत शुरू कर दी है। ब्रिटेन ने प्रस्ताव दिया है कि सुरक्षा परिषद में मतदान के बाद चुनाव प्रक्रिया रोक दी जाए। इसके बाद ज्वायंट कांफ्रेंस शुरू हो। इसके तहत महासभा व सुरक्षा परिषद से तीन-तीन सदस्य नामित हों। फिर छह देशों के ये प्रतिनिधि ही जज की अंतिम सीट के लिए निर्णायक फैसला सुनाएं। बताया जाता है कि सुरक्षा परिषद के कुछ सदस्य देशों ने भी ब्रिटेन की इस मंशा का विरोध किया है। ब्रिटेन को चुनाव प्रक्रिया रुकवाने के लिए सुरक्षा परिषद में नौ सदस्यों का समर्थन चाहिए। अब तक हो चुके मतदान के सभी चरणों में ब्रिटेन को इतना समर्थन मिलता आया है। इससे ब्रिटेन उत्साहित है।
ज्ञात हो कि ज्वांयट कांफ्रेंस मेकानिज्म से अंतिम बार 96 वर्ष पूर्व 1921 में डिप्टी जजों का चुनाव हुआ था। मतदान में भी यदि नतीजा नहीं निकला तो महासभा और सुरक्षा परिषद के तीन-तीन सदस्यों वाली छह सदस्यीय समिति किसी एक नाम पर मुहर लगाएगी। आइसीजे में कुल 15 जज हैं। उनका कार्यकाल नौ साल होता है। हर तीन साल पर पांच नए जजों का चुनाव होता है। मतदान से ही होता रहा है निर्णय अंतराराष्ट्रीय न्यायालय में जज के चयन में पूर्व में भी कई बार ऐसी स्थिति आई है कि किसी देश को महासभा व सुरक्षा परिषद दोनों में बहुमत हासिल नहीं रहा है। इस सूरत में मतदान के अधिक चरण होते हैं और जिस देश को महासभा में लगातार बहुमत मिलता रहता है, उसके पक्ष में निर्णय जाता है।
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