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अमेरिका ने ब्रिटिश कोर्ट से जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण की अनुमति देने का किया आग्रह

अमेरिका ने ब्रिटेन के हाई कोर्ट से बुधवार को विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण संबंधी एक न्यायाधीश के फैसले को बदलने का आग्रह किया। न्यायाधीश ने असांजे को जासूसी के आरोपों का सामना करने के लिए अमेरिका नहीं भेजने का फैसला सुनाया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 27 Oct 2021 10:13 PM (IST)Updated: Wed, 27 Oct 2021 10:22 PM (IST)
जासूसी के आरोपों का सामना कर रहे विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण

लंदन, एपी। अमेरिका ने ब्रिटेन के हाई कोर्ट से बुधवार को विकीलीक्स संस्थापक जूलियन असांजे के प्रत्यर्पण संबंधी एक न्यायाधीश के फैसले को बदलने का आग्रह किया। न्यायाधीश ने असांजे को जासूसी के आरोपों का सामना करने के लिए अमेरिका नहीं भेजने का फैसला सुनाया था। अमेरिका ने वादा किया कि दोषी साबित होने पर असांजे अपने मूल देश आस्ट्रेलिया में सजा काट सकेंगे।

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विकीलीक्स के संस्थापक पर है जासूसी का आरोप

जिला जज वानेसा बरैट्सर ने जनवरी में स्वास्थ्य आधार पर प्रत्यर्पण की अनुमति देने से इन्कार करते हुए कहा था कि असांजे को अगर अमेरिका की जेल में कठिन हालात में रखा गया तो वह आत्महत्या कर सकते हैं। मामला एक दशक पुराना है और गोपनीय सैन्य दस्तावेजों के विकीलीक्स द्वारा प्रकाशन से जुड़ा है। असांजे पर जासूसी के आरोप लगाए गए हैं। अमेरिकी सरकार की तरफ से पेश वकील जेम्स लेविस ने जिला जज के फैसले को गलत बताया।

उन्होंने बचाव पक्ष की इन दलीलों को खारिज कर दिया कि असांजे राजनीतिक रूप से प्रेरित अमेरिकी अभियोजन का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी न्याय प्रणाली में उनके मामले में निष्पक्ष सुनवाई होगी। अमेरिका के अधिकारियों ने वादा किया था कि असांजे पर किसी उच्चस्तरीय सुरक्षा वाली सुपरमैक्स जेल में मुकदमा नहीं चलेगा। उन्हें अलग-थलग रखने वाली कठिन परिस्थितियों का सामना नहीं करना होगा और दोषी साबित होने पर वह आस्ट्रेलिया में सजा काट सकेंगे।

अमेरिका में जासूसी के 17 आरोपों और कंप्यूटर दुरुपयोग के एक आरोप

एक दशक पहले सैन्य और राजनयिक दस्तावेजों के प्रकाशन के मद्देनजर विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को अमेरिका में जासूसी के 17 आरोपों और कंप्यूटर दुरुपयोग के एक आरोप का सामना करना रहा है। अगर यह आरोप साबित होते हैं तो उनको अधिकतम 175 वर्ष जेल की सजा हो सकती है।


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