हांगकांग को लेकर चीन-ब्रिटेन के मधुर संबंधों में पैदा हुई कटुता, संबंधों का स्वर्ण युग भी देखा
दोनों देशों के बीच पांच वर्ष पूर्व बेहतरीन रिश्ते थे। यह उस दौर की बात है जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन थे। दोनों देशों के बीच मधुर संबंध थे।
लंदन,एजेंसी। हांगकांग को लेकर चीन और ब्रिटेन के बीच विवाद गहरा हो गया है। चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर ब्रिटेन ने अपनी गंभीर आपत्ति दर्ज की है। इतना ही नहीं ब्रिटेन ने हांगकांग के 30 लाख नागरिकों को अपने यहां आने का न्योता भी दिया है। दोनों देशों के बीच पांच वर्ष पूर्व बेहतरीन रिश्ते थे। यह उस दौर की बात है, जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन थे। दोनों देशों के बीच मधुर संबंध थे। ब्रिटेन-चीन संबंधों के लिए यह एक स्वर्ण युग था। यह वही काल है जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग और कैमरन के बीच एक बड़े व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर ठनी
हांगकांग में चीन के नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर दोनों देशों के बीच संबंध कटु हो गए हैं। शत्रुतापूर्ण बयानबाजी के चीन और ब्रिटेन के बीच संबंधों को और भी तनावपूर्ण बना दिया। ब्रिटेन के इस बयान के बाद कि उपनिवेश के लाखों लोगों को शरण देने पर चीन ने कड़ी आपत्ति दर्ज की थी। चीनी अधिकारियों ने इसके भीषण परिणामों की धमकी दी थी। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी ने चीन के प्रति कड़ रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि चीन ऐसा देश नहीं है, जो किसी भी तरह से इस समय किसी भी चीज में एक अच्छा और सभ्य साथी होने का काम कर रहा है। इसलिए हमें उनके साथ अपने संबंधों की समीक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जो लोग सोचते हैं कि सरकार से व्यापार को अलग करने का मामला है, आप ऐसा नहीं कर सकते, यह भोलापन है।
चीन ने दी ब्रिटने का चेतावनी
इस पर चीनी राजदूत लियू जियाओमिंग ने यह भी चेतावनी दी कि हुआवेई से छुटकारा पाने का एक निर्णय ब्रिटेन में अन्य चीनी निवेशों से दूर हट सकता है। जॉनसन की सरकार ने चीन पर चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया है। उन्होंने घोषणा की कि यह 30 लाख हांगकांग नागरिकता के लिए एक विशेष योजना के तहत मार्ग खोलेगा।