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कोरोना के उपचार में पशु की एंटीबाडी हो सकती मददगार, संक्रमण के खिलाफ मिल सकता है नया इलाज

कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में एक पशु की एंटीबाडी में उम्मीद की नई किरण दिखी है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि ऊंट प्रजाति के लामा पशु के शरीर में बनी एंटीबाडी के उपयोग से कोरोना संक्रमित व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 07:39 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 07:39 PM (IST)
कोरोना के उपचार में पशु की एंटीबाडी हो सकती मददगार, संक्रमण के खिलाफ मिल सकता है नया इलाज
कोरोना के उपचार में पशु की एंटीबाडी हो सकती मददगार।

लंदन, प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में एक पशु की एंटीबाडी में उम्मीद की नई किरण दिखी है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि ऊंट प्रजाति के लामा पशु के शरीर में बनी एंटीबाडी के उपयोग से कोरोना संक्रमित व्यक्ति का उपचार किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल नेजल स्प्रे के जरिये हो सकता है। इससे कोरोना वायरस से मुकाबले में एक नया इलाज मिल सकता है।

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ब्रिटेन की रोसलिंड फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं के अनुसार, नैनोबाडी (एंटीबाडी का सूक्ष्म और सरल रूप) की मदद से कोरोना को प्रभावी ढंग से लक्ष्य बनाया जा सकता है। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में अध्ययन के नतीजों को प्रकाशित किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, प्रयोगशाला में परीक्षण के दौरान जब संक्रमित पशुओं के शरीर में यह एंटीबाडी पहुंचाई गई तो कोरोना के लक्षणों में उल्लेखनीय कमी पाई गई।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह एंटीबाडी कोरोना से कसकर बंधने में सक्षम है, जिससे यह वायरस कोशिकाओं को संक्रमित करने में बेअसर हो जाता है। इस पशु एंटीबाडी के इस्तेमाल से मानव एंटीबाडी की तुलना में उपचार का सस्ता और आसान विकल्प मुहैया हो सकता है। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान गंभीर कोरोना मामलों के लिए मानव एंटीबाडी का इस्तेमाल महत्वपूर्ण उपचार रहा है, लेकिन आमतौर पर इन्हें संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में सुई के माध्यम से ही दिया जा सकता है।

रोसलिंड फ्रैंकलिन इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रे ओवेन्स और शोध के प्रमुख लेखक ने कहा कि मानव एंटीबाडी पर नैनोबाडी के कई फायदे हैं। इनका उत्पादन सस्ता है और नेबुलाइजर या नेजल स्प्रे के माध्यम से दिया जा सकते हैं।इसलिए इंजेक्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती और इन्हें घर पर खुद से लिया जा सकता है। टीम कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन के एक हिस्से को फीफी नामक लामा में इंजेक्ट करके नैनोबाडी उत्पन्न करने में सक्षम रही, जो यूके में यूनिवर्सिटी आफ रीडिंग में एंटीबाडी उत्पादन सुविधा का हिस्सा है। स्पाइक प्रोटीन वायरस के बाहर पाया जाता है और मानव कोशिकाओं को बांधने के लिए जिम्मेदार होता है ताकि यह उन्हें संक्रमित कर सके।


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