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ISI की साजिश में शामिल होने से किया था मना, 20 साल से है लापता; एक मां ने बयां की बेटे की दर्दभरी कहानी

खालिद की मां रशीदा बेगम ने बताया कि मार्च 2000 में आइएसआइ का सूबेदार फारूक हमारे गांव खालिद से मिलने आया था और उसे अपने साथ ले गया था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 09:06 PM (IST)
ISI की साजिश में शामिल होने से किया था मना, 20 साल से है लापता; एक मां ने बयां की बेटे की दर्दभरी कहानी

लंदन, एएनआइ। गुलाम कश्मीर (PoK) के हजेरा कस्बे के निवासी मुहम्मद खालिद ने करीब 20 साल पहले पाकिस्तान समर्थित जिहाद में शामिल होने से मना कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आइएसआइ) ने उसका अपहरण कर लिया था।

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खालिद की मां रशीदा बेगम ने बताया कि मार्च, 2000 में आइएसआइ का सूबेदार फारूक हमारे गांव खालिद से मिलने आया था और उसे अपने साथ ले गया था। उस दिन के बाद से खालिद को किसी ने नहीं देखा और ना ही उसके बारे में कुछ सुना। खालिद की मां ने अपने बेटे की वापसी के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति, आइएसआइ के प्रमुख, रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और पाकिस्तान के मुख्य सचिव को पत्र लिखा। इस पर उन्हें आश्वासन दिया गया कि उनका बेटा जल्द ही घर वापस आ जाएगा। इसके बाद भी बेटे के नहीं लौटने पर खालिदा ने हाई कोर्ट में अपील की। लेकिन, मामला आइएसआइ से जुड़ा होने के कारण हाई कोर्ट भी कुछ नहीं कर सका।

पाकिस्तान में सेना और आइएसआइ कथित जिहाद में शामिल होने से इन्कार करने वालों को बागी मानते हैं। वे ऐसे लोगों को सख्त सजा देते हैं जिससे भविष्य में अन्य लोग इन्कार न कर सकें। पाक सेना और आइएसआइ को डर है कि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ने से उनकी आतंक की फैक्ट्री बंद हो सकती है। आइएसआइ के आदेशों की खुलेआम अवहेलना करने वाले लोगों को धमकी, ब्लैकमेलिंग और झूठे आरोपों का सामना करना पड़ता है। जब इससे भी बात नहीं बनती तो उन्हें हमेशा के लिए चुप करा दिया जाता है।


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