Jallianwala Bagh massacre : नरसंहार पर ब्रिटेन ने नहीं मांगी माफी
Jallianwala Bagh massacre अंग्रेजी हुकूमत द्वारा लाए गए दमनकारी कानून रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए जलियांवाला बाग में हजारों लोग जमा हुए थे। उसी वक्त यह घटना हुई थी।
By Prateek KumarEdited By: Updated: Thu, 09 May 2019 09:08 PM (IST)
लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन ने जलियांवाला बाग नरसंहार पर माफी नहीं मांगी है। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने इस नरसंहार पर सिर्फ गहरा अफसोस जताया है। ब्रिटिश राज में वैसाखी के दिन अमृतसर में हुए इस नरसंहार की 100 वीं बरसी के मौके पर ब्रिटिश सरकार पहले ही खेद जता चुकी है।
यह नरसंहार अविभाजित पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में वैसाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 को हुआ था। अंग्रेजी हुकूमत द्वारा लाए गए दमनकारी कानून 'रॉलेट एक्ट' का विरोध करने के लिए जलियांवाला बाग में हजारों लोग जमा हुए थे।वैसाखी की छुट्टी के चलते बड़ी संख्या में अन्य लोग भी अपने परिवार के साथ बाग में घूूमने आए थे। उसी समय कर्नल डायर की अगुआई में ब्रिटिश इंडियन सेना के जवानों ने बाग को चारों तरफ से घेरकर फायरिंग कर दी थी। इसमें हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। कर्नल डायर को प्रमोट कर बाद में ब्रिटिश सेना में जनरल बना दिया गया था।
लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री के सरकारी आवास डाउनिंग स्ट्रीट पर बुधवार को आयोजित वैसाखी समारोह में प्रधानमंत्री मे ने संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस के शब्दों को दोहराते हुए इस नरसंहार को ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर 'शर्मनाक धब्बा' करार दिया।
समारोह में शामिल भारतीय प्रवासियों से मे ने कहा, 'जो कुछ हुआ और बड़ी संख्या में लोगों को दर्द सहना पड़ा इसको लेकर हमें गहरा अफसोस है।' मे ने कहा, 'उस दिन जो हुआ उसे सुनकर कोई भी बहुत दुखी हुए बिना नहीं रह सकता। सौ साल पहले उस बाग में आने वाले लोगों पर क्या गुजरी होगी उसकी कोई वास्तव में कल्पना तक नहीं कर सकता।'
पूर्व प्रधानमंत्री एचएच एसक्विथ ने कहा, 'यह हमारे संपूर्ण इतिहास का सबसे वीभत्स जुल्म था।' हालांकि, सरकार की तरफ से इस नरसंहार पर औपचारिक माफी नहीं मांगी गई।दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए ब्रिटेन के सांसद और सिख समुदाय नरसंहार के सौ साल पूरे होने पर सरकार से इस पर माफी मांगने की मांग कर रहे थे। कई सांसदों ने सरकार द्वारा माफी नहीं मांगें जाने पर नाराजगी भी जताई। लॉर्ड लूंबा ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि लोगों पर गोली चलाने का फैसला जनरल डायर का अपना था या उसे ब्रिटिश राज के शीर्ष अधिकारियों की तरफ से ऐसा करने का आदेश मिला था।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप