खगोलविदों ने प्राचीन तारे में खोजा ऑक्सीजन का भंडार, दूसरे पिंडों में जगी जीवन की संभावना
Oxygen Detected in Ancient star Atmosphere खगोलविदों ने एक सबसे पुराने और मौलिक रूप से कमजोर तारे के वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का पता लगाया है।
लंदन, पीटीआइ। खगोलविदों ने एक सबसे पुराने और मौलिक रूप से कमजोर तारे के वायुमंडल में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन का पता लगाया है। यह एक ऐसी खोज है, जो ब्रह्मांड में जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण यौगिकों के गठन पर प्रकाश डालती है। साथ ही इससे अंतरिक्ष के अन्य खगोलीय पिंडों पर जीवन की संभावनाओं को और बल मिला है। एस्ट्रोफिजिकल लेटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने जे0815 प्लस 4729 नामक एक प्राचीन तारे की रासायनिक बनावट का विश्लेषण किया और यह पता लगाया कि ब्रह्मांड में फर्स्ट जनरेशन के तारों यानी शुरुआती दौर के तारों में ऑक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण तत्वों का निर्माण कैसे होता है।
5000 प्रकाशवर्ष दूर है मौजूद
शोधकर्ताओं में शामिल ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने कहा, 'जे0815 प्लस 4729 नामक तारा अपने नक्षत्र मंडल 'लिंक्स' से लगभग 5000 प्रकाशवर्ष दूर स्थिति है यानी इस तारकीय स्त्रोत से पृथ्वी तक प्रकाश पहुंचने में पांच हजार साल लग जाएंगे।'
दूसरे तारों में जगी जीवन की आस
अमेरिका की डब्ल्यू. एम. कीक वेधशाला के वैज्ञानिक और इस अध्ययन के सह-लेखक जॉन ओ मारिया ने कहा, 'यह परिणाम बहुत ही रोमांचक है। यह हमारे ब्रह्मांडीय बैक यार्ड में मौजूद तारों का उपयोग करके ब्रह्मांड के सबसे शुरुआती समय के बारे में बताता है।' उन्होंने कहा कि 'जे0815 प्लस 4729' में ऑक्सीजन मिलने का मतलब है कि अन्य तारों में भी जीवन संभव हो सकता है।
न्यूक्लियर रिएक्शन से हुआ गैसों की निर्माण
शोधकर्ताओं के अनुसार, हाइड्रोजन और हीलियम के बाद ब्रह्मांड में ऑक्सीजन तीसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है, और पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों के लिए आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने कहा, यह तत्व प्रारंभिक ब्रह्मांड में मौजूद नहीं था। इनका निर्माण बड़े पैमाने पर तारों के अंदर न्यूक्लियर रिएक्शन होने पर अल्ट्राहाई एनर्जी के उत्सजर्न के माध्यम से हुआ, जिनका द्रव्यमान सूर्य की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक है।
16 रसायनों का डाटा जुटाया
एक ही रात में तारे का पांच घंटे से अधिक समय तक अवलोकन करने के बाद खगोलविदों ने इसके वातावरण में ऑक्सीजन सहित अन्य 16 रसायनों का डाटा एकत्र किया। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक, जोयन गोंजालेज हर्नाडेज ने कहा, 'इस तारे की संरचना यह इंगित करती है कि बिग बैंग के बाद सैकड़ों करोड़ों वषरें के दौरान इसका गठन हुआ था। संभवत: यह मिल्की वे के पहले सुपरनोवा से निकली हुई सामग्री से बना होगा। इस अध्ययन के निष्कर्ष यह भी बताते हैं कि इस तारे एक बहुत ही असामान्य रासायानिक संरचना थी।
आकाशगंगा में नहीं है ऐसा तारा
वैज्ञानिकों के मुताबिक, जे0815 प्लस 4729 नामक इस तारे में कार्बन, नाइट्रोजन, और ऑक्सीजन की मात्रा क्रमश: 10, आठ और तीन प्रतिशत है। ऐसी ही कुछ स्थिति सूर्य की भी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसमें कैल्शियम और आयरन जैसे अन्य तत्व बेहद दुर्लभ थे। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक डेविड एगुओडो ने कहा, 'हमारी आकाशगंगा के प्रभामंडल में केवल कुछ तारे ही पाए जाते हैं, लेकिन कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की इतनी भारी मात्रा किसी के पास नहीं है।