ईरान-अमेरिका के बीच बढ़ी तनातनी, परमाणु समझौते से अलग होने को लेकर फिर दी चेतावनी
ईरान के राजदूत ने कहा कि अगर अमेरिका परमाणु डील से अलग होता है, तो तेहरान परमाणु समझौते को छोड़ने पर विचार करेगा।
लंदन (एएफपी)। परमाणु समझौते को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। इस डील से अलग होने के अमेरिका के इशारे के बाद एक बार फिर ईरान ने चेतावनी दी है। एक साक्षात्कार के दौरान ब्रिटेन में ईरान के राजदूत ने कहा कि अगर अमेरिका 2015 परमाणु डील से अलग होता है, तो तेहरान (ईरान) परमाणु समझौते को छोड़ने के लिए उपयुक्त प्रतिक्रियाओं पर विचार करेगा। इससे पहले भी ईरान इस तरह की धमकियां अमेरिका को दे चुका है। लंदन में ईरान के शीर्ष राजदूत हामिद बेइडीनेजाद ने कहा कि यदि अमेरिका 2015 के समझौते से खुद को अलग करता है तो ईरान पिछली स्थिति में वापस जाने के लिए तैयार होगा। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समझौते से अलग होने की कई बार धमकी दे चुके हैं।
उन्होंने कहा, 'अगर अमेरिका इस डील से खुद को अलग करता है, तो इसका मतलब हुआ कि यह सौदा अब बचा ही नहीं। क्योंकि इस संधि की सबसे महत्वपूर्ण पार्टी (देश) ने संधि की स्पष्ट शर्तों को निरस्त कर दिया है और उनका उल्लंघन किया है।
12 मई को ट्रंप लेंगे फैसला
बता दें कि आगामी 12 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात का फैसला लेंगे कि ईरान को दी गई ढील को कुछ प्रतिबंधों को समाप्त करके इसे नया स्वरूप देना है या नहीं। इस समझौते से आर्थिक प्रतिबंधों को कम करने के बदले में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। बेइडीनेजाद ने कहा, अमेरिका से इस तरह के कदम के लिए तेहरान विभिन्न प्रतिक्रियाओं पर विचार कर रहा था, जिसमें परमाणु गतिविधियों को फिर से शुरू करना शामिल था। हालांकि राजदूत ने इस बात से इनकार किया है कि ईरान फिर से परमाणु हथियारों के उत्पादन को शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि ईरान ने हमेशा हथियार की मांग से इनकार किया है, परमाणु कार्यक्रम का जोर नागरिक उद्देश्यों के लिए था।
तो क्या परमाणु डील से अलग होगा अमेरिका
सूत्रों की मानें तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौते से अलग होने का मन बना लिया है। हालांकि 12 मई को ट्रंप इससे जुड़ा कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों और ट्रंप प्रशासन से जुड़े एक सूत्र की ओर से बुधवार को इससे जुड़ी जानकारी दी गई। हालांकि ईरान ऐसा न करने की पहले ही अमेरिका को चेतावनी दे चुका है।
2015 में हुआ था परमाणु समझौता
बता दें कि ईरान, जर्मनी और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों - ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के बीच जुलाई 2015 में जेसीपीओए समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत ईरान आर्थिक मदद और खुद पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को हटाने की एवज में अपने परमाणु हथियार कार्यक्रमों को रोकने पर सहमत हुआ था। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अक्टूबर 2017 में इस समझौते को रद करने का आह्वान किया था और ईरान पर समझौते का कई बार उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। हालांकि ईरान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। ईरान ने साफ किया है कि वह समझौते में कोई परिवर्तन स्वीकार नहीं करेगा।