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हुसैन हक्‍कानी के खिलाफ कार्रवाई से इंटरपोल का इंकार, केस दर्ज कर सकता है FIA

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में सेवा दे चुके पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के खिलाफ 15 फरवरी को 'मेमोगेट' स्कैंडल में गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 28 Feb 2018 11:21 AM (IST)Updated: Wed, 28 Feb 2018 11:59 AM (IST)
हुसैन हक्‍कानी के खिलाफ कार्रवाई से इंटरपोल का इंकार, केस दर्ज कर सकता है FIA
हुसैन हक्‍कानी के खिलाफ कार्रवाई से इंटरपोल का इंकार, केस दर्ज कर सकता है FIA

लंदन (एएनआई)। पाकिस्‍तान के सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को सूचित किया गया कि संघीय जांच एजेंसी (एफआइए) द्वारा इंटरपोल को अमेरिका में पूर्व राजदूत हुसैन हक्‍कानी के खिलाफ रेड वारंट जारी करने के आग्रह के बावजूद कोई वारंट जारी नहीं हुआ था।

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मेमोगेट स्‍कैंडल में दोषी पूर्व राजदूत के अपराध को संज्ञान में लेते हुए 6 साल बाद पाकिस्‍तान की (एफआइए) अब हक्‍कानी के खिलाफ मामला दर्ज कर सकता है। संघीय जांच एजेंसी ने हक्कानी को पकड़ने के लिए इंटरपोल से रेड वॉरंट जारी करने के लिए कहा था।

पाकिस्‍तानी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार असिस्‍टेंट अटार्नी जनरल (एएजी) वकारा राना ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, एफआइए को इंटरपोल की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए कुछ समय चाहिए जिसमें कथित अपराध का विवरण शामिल है, राना ने चीफ जस्‍टिस ऑफ पाकिस्‍तान (सीजेपी), मियां साकिब निसार से मामले की सुनवाई का आग्रह किया था। सीजेपी ने याचिका स्‍वीकार की और यह स्‍पष्‍ट करते हुए कि वे किसी लॉबी के प्रभाव में नहीं हैं एएजी व याचिकाकर्ता से चैंबर में पेश होने कहा।

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिका में सेवा दे चुके पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी के खिलाफ 15 फरवरी को 'मेमोगेट' स्कैंडल में गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 2011 का मेमोगेट विवाद एक ज्ञापन के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसे कथित तौर पर हक्कानी ने लिखा था। हक्कानी ने ज्ञापन में ओसामा बिन लादेन पर छापे के बाद पाकिस्तान में एक सैन्य तख्तापलट को टालने के मद्देनजर ओबामा प्रशासन से मदद मांगी थी।

डॉन के अनुसार, हक्कानी ने 2008 से 2011 तक राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं। हक्कानी को इस मामले में उनकी कथित भूमिका के कारण पद से बर्खास्त कर दिया गया था। हक्कानी मेमोगेट मामले में अदालत द्वारा पेश होने के आदेश के बाद भी पेश नहीं हुए। तीन जनवरी 2013 को हक्कानी ने चार दिनों में वापसी का हलफनामा दिया जिसपर अदालत ने उन्हें विदेश जाने की मंजूरी दे दी और वह पाकिस्तान से चले गए। हालांकि उसके बाद वह देश लौटकर वापस नहीं आए और अदालत के साथ अपनी प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया।

चार जून 2013 को अदालत ने सरकार को उन्हें वापस लाने का निर्देश दिया। अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल वकार राना ने पहले कहा था कि हक्कानी को अमेरिका से वापस लाने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे। इस कदम पर हक्कानी ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दुखद है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत स्थानीय टीवी समाचार कवरेज के लिए ऐसी हरकतें कर रही है।


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